साल 2016 में निमोनिया और डायरिया से देश में 2.6 लाख बच्चों की मौत : रिपोर्ट

भारत में निमोनिया और डायरिया से साल 2016 में 2.60 लाख बच्चों की मौत हुई. रिपोर्ट में साल 2030 तक भारत में निमोनिया के कारण 17 लाख से अधिक बच्चों के मरने की आशंका जताई गई है.

author-image
saketanand gyan
एडिट
New Update
साल 2016 में निमोनिया और डायरिया से देश में 2.6 लाख बच्चों की मौत : रिपोर्ट

सांकेतिक तस्वीर

Advertisment

भारत में निमोनिया और डायरिया से साल 2016 में 2.60 लाख बच्चों की मौत हुई. जॉन हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की निमोनिया और डायरिया प्रोग्रेस रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि साल 2016 में दुनिया में 5वें जन्मदिन से पहले 57 लाख बच्चों की मौत हो गई जिसमें चार में से एक मौत निमोनिया और डायरिया के कारण हुई. इस रिपोर्ट में साल 2030 तक भारत में निमोनिया के कारण 17 लाख से अधिक बच्चों के मरने की आशंका जताई गई है. इस आंकड़े को देखा जाय तो भारत में हर दिन निमोनिया और डायरिया से मौत होने वालों की संख्या औसतन 712 है जो कि काफी डरावनी है.

इस बीमारी की सबसे अधिक मार झेल रहे 15 देशों की रिपोर्ट में भारत की स्थिति दयनीय है. डायरिया का प्रमुख कारण माने जाने वाले रोटा वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत में टीकाकण सभी 15 देशों में सबसे कम है.

वैश्विक स्तर पर देखें तो साल 2016 में दुनिया भर में निमोनिया और डायरिया से 5 साल से कम उम्र के कुल 13.6 लाख बच्चों की मौत हुई. इसमें दो तिहाई मौत इन 15 देशों में हुई. जिसमें भारत पहले नंबर पर है.

भारत में साल 2016 में निमोनिया से 1,58,176 और डायरिया से 1,02,813 मौतें हुई. वहीं नाइजीरिया में दोनों बीमारियों से कुल 2,15,306 मौतें हुई. तीसरे नंबर पर पाकिस्तान है जहां दोनों बीमारियों से 99,644 मौतें हुई.

भारत ने साल 2017 में न्यूमोकोकल कान्जगेट वैक्सीन (पीसीवी) का कार्यक्रम शुरू किया था लेकिन किसी भी बच्चे को इसकी तीसरी खुराक नहीं मिली थी. भारत ने ग्लोबल एक्शन प्लान फॉर निमोनिया एंड डायरिया (जीएपीपीडी) के स्कोर को एक अंक बढ़ाया.

हालांकि पिछले साल आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने बताया था कि वर्ष 2016 में देश में तीन लाख बच्चों की इस बीमारी से मौत हो गई.

आईएमए के अनुसार, निमोनिया एक तरह का गंभीर श्वसन संक्रमण है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है. एक स्वस्थ व्यक्ति में, फेफड़ों के छोटे-छोटे भागों में श्वसन के दौरान हवा भरती है. लेकिन, निमोनिया होने पर, इनमें हवा की जगह मवाद और द्रव्य भर जाता है, जिससे श्वसन क्रिया कष्टकारक हो जाती है और ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने लगती है. निमोनिया रोग विषाणुओं, जीवाणुओं और फंगस के जरिए हो जाता है.

और पढ़ें : वायु प्रदूषण से आपके शरीर के कई हिस्सों को पहुंच रहा है नुकसान, बीमारियों का खतरा बढ़ा

इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत या तेजी से सांस लेना, खांसी, बुखार, ठिठुरन, भूख मर जाना और विषाणुजन्य संक्रमण होने पर चक्कर आना है. निमोनिया बिगड़ जाने पर बच्चे के सीने में निचला हिस्सा अंदर को धंसा हुआ प्रतीत होता है. छोटे शिशुओं में बेहोशी, हाइपोथर्मिया जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

health INDIA Pneumonia Diseases IMA आईएमए निमोनिया Children Deaths diarrhoea pneumonia deaths डायरिया
Advertisment
Advertisment
Advertisment