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क्या आपका बच्चा भी देर से शुरू कर रहा है बोलना ? तो इस तरह से करें स्पीच थेरेपी

सही समय आने पर बच्‍चे ऐसा करने भी लगते हैं लेकिन कई बच्‍चे ऐसे भी होते हैं जो अपनी उम्र के बच्चों की तुलना में देरी से बोलना शुरू करते हैं, देरी से चलना शुरू करते हैं.

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Nandini Shukla
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इस तरह से करें थेरेपी( Photo Credit : dailysabah)

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हर एक पेरेंट्स के लिए उनके बच्चे के मुंह से पहली बार मां पापा सुन्ना बहुत ख़ुशी की बात होती है. सही समय आने पर बच्‍चे ऐसा करने भी लगते हैं लेकिन कई बच्‍चे ऐसे भी होते हैं जो अपनी उम्र के बच्चों की तुलना में देरी से बोलना शुरू करते हैं, देरी से चलना शुरू करते हैं.  लेकिन समय रहते गलत चीज़ों पर ध्यान देना भी ज़रूरी है. लेकिन कई बार कुछ पैरेंट्स इसकी वजह से स्‍ट्रेस में आ जाते हैं और उन्‍हें बच्‍चे की मेंटल हेल्‍थ की चिंता सताने लगती है. कुछ बच्चों को स्पीच डिले की समस्या होती है. तो चलिए जानते हैं क्या है स्पीच डिले. और इसे कैसे ठीक कर सकते हैं. 

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क्‍या है स्‍पीच डिले

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक दो साल का बच्‍चा करीब 50 शब्‍द बोल सकता है और दो से तीन शब्‍दों वाले वाक्‍यों का भी प्रयोग करने लगता है. तीन साल होते-होते उसकी वोकैबलरी में करीब 1000 शब्‍द जुड़ जाते हैं और वह तीन से चार शब्‍दों वाले वाक्‍यों को बोलने की कोशिश करने लगता है. ऐसी स्थिति में कघ्ब्ऱाने की बात नहीं है लेकिन आप अपने बच्चों के साथ प्रैक्टिस कर सकते हैं. इससे आपका बच्चा जल्दी बोलना सीखेगा. 

कैसे पहचाने स्‍पीच डिले की स्थिति को

-अगर बच्‍चा 2 महीना को हो जाए और कुछ भी आवाज नहीं निकाले तो यह अर्ली सिंपटम हो सकता है.

– आमतौर पर 18 महीने का होते-होते बच्‍चा सिंपल शब्‍द जैसे मां-पापा आदि बोलने लगता है.

-अगर ढाई साल होने पर बच्‍चा दो शब्‍दों वाले वाक्‍य नहीं बोल रहा हो.

-तीन साल होने पर करीब 200 शब्‍दों का प्रयोग नहीं कर पा रहा.

-कुछ भी नाम लेकर नहीं बुलाता या मांगता.

इन वजहों से हो सकती है ये समस्‍या

-जन्‍म से अगर जीभ में किसी तरह की समस्‍या हो.

-प्रीमेच्‍योर डिलेवरी 

-ऑटिज्‍म स्‍प्रेक्‍टम डिजीज भी हो सकता है कारण.

-न्‍यूरोलॉजिकल प्रॉब्‍लम की वजह से.

ऐसे हालात में क्‍या करें आप -

-एक दूसरे की नकल करने का खेल खेलें, इससे बच्चे को बोलने की हिम्‍मत आएगी.

-जब वह आपको कॉपी करे तो आप उसे नए शब्दों को सिखाने के लिए शब्‍दों को प्रयोग करें.

-बच्चे के साथ धीरे-धीरे बात करें.

-बच्चों के साथ बैठ कर धीरे धीरे राम राम बुलवाये. 

-बच्चे के सामने गाना गुनगुनाएं.

-ध्यान रहे कि अगर इसके बाद भी अगर बच्चे में सुधर नहीं है तो डॉक्टर से संपर्क करें. बच्चों को स्पीच थेरेपी दी जाएगी जिससे वह ठीक होजाएगा. 

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Source : News Nation Bureau

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