भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने सूअरों में जापानी बुखार के वायरस का पता लगाने और गाय, बकरी, भैंस व भेड़ों में ब्लूटंग बीमारी की जांच के लिए दो अलग-अलग डायग्नॉस्टिक किट तैयार किए हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्र ने मंगलवार को बताया कि जापानी बुखार के वायरस का पता लगाने वाला डाग्नॉस्टिक किट देश में पहली बार बनाया गया है, जबकि पशुओं में होने वाली ब्लूटंग बीमारी की जांच के लिए 'सैंडविच एलिसा किट' दुनिया में पहली बार भारत में विकसित किया गया है.
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उन्होंने बताया कि ये दोनों किट मेक-इन इंडिया पहल के तहत 100 दिन के कार्यक्रम में तैयार किए गए हैं, जबकि इस पर अनुसंधान का कार्य पहले से ही चल रहा था. महापात्रा ने यहां एक प्रेसवार्ता में बताया कि जापानी बुखार के वायरस का पता लगाने के लिए इसी प्रकार के डाग्नॉस्टिक किट पहले विदेशों से मंगाए जाते थे, जिसकी एक किट की कीमत 1,200 रुपये होती थी, लेकिन अब यह महज 180 रुपये में उपलब्ध होगा, जिससे पशुचिकित्सकों के लिए सूअर में जापानी बुखार के वायरस का पता लगाना आसान हो जाएगा.
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उन्होंने बताया कि आईसीएआर के तहत आने वाले भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के वैज्ञानिकों ने जापानी इन्सेफ्लाइटिस एलिसा किट बनाया है. महापात्र ने बताया कि जापानी बुखार का वायरस सूअर में पाया जाता है और मच्छर के माध्यम से यह मानव तक फैलता है और इसका प्रकोप खासतौर से बच्चों पर पड़ता है जिससे उनकी मौत हो जाती है. इसी साल बिहार के मुजफ्फरपुर में जापानी बुखार से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी.
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उन्होंने कहा, "सूअर में पाए जाने वाले इस रोग के वायरस का पता चलने के बाद उसकी रोकथाम के उपाय करने में मदद मिलेगी."महापात्र ने बताया कि देशभर में पशुपालकों को ब्लूटंग बीमारी के कारण गाय, बकरी, भैंस और भेड़ जैसे पशुधन की क्षति होती है, लेकिन अब इसके वायरस की जांच हो जाने पर इलाज आसान हो जाएगा और वायरस के रोकथाम के उपाय करना भी आसान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही ये दोनों किट देशभर में पशुचिकित्सकों को उपलब्ध करवाने की कोशिश की जाएगी.