केरल में निपाह वायरस के कारण 3 लोगों की मौत हो जाने से दहशत का माहौल है।
निपाह वायरस सबसे पहले 1998 में मलेशिया और सिंगापुर में पाया गया था। इस वायरस के लक्षण सबसे पहले घरेलू सूअरों मे देखने को मिले थे। उसके बाद कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़ा और भेड़ जैसे अन्य घरेलू जानवरों में इसके लक्षण देखने को मिले।
निपाह वायरस इन्सेफलाइटिस को फैलाने वाला आरएनए या रिबोन्यूक्लिक एसिड वायरस पैरामाइक्सोविरिडे, जीनस हेनिपावायरस प्रजाति का होता है। यह हेन्ड्रा वायरस से संबंधित है जो घोड़ों और मनुष्यों के वायरल सांस संक्रमण से संबन्धित होता है।
क्या होता है निपाह वायरस
WHO की रिपोर्ट के अनुसार निपाह वायरस टेरोपस जीनस नामक एक खास नस्ल के चमगादड़ से मिला है। डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस को पशु स्वास्थ्य स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता के विश्व संगठन में सूचीबद्ध किया है।
निपाह वायरस इंफेक्शन का नाम मलेशिया के गांव से पड़ा है जहां एक व्यक्ति की इस बीमारी के कारण मौत हो गई थी। मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे।
कैसे फैलता है निपाह
यह वायरस फ्रूटबैट्स के जरिये इंसानों और जानवरों पर हमला करता है। यह वायरस बैट के मल-मूत्र, लार, और प्रसव तरल पदार्थ में मौजूद होता है। खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्शन की चपेट में जल्दी आते हैं। 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे।
इस वायरस के लक्षण
आम तौर पर, पीड़ित को इस इन्सेफलेटिक सिंड्रोम के रूप में तेज संक्रमण बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, विचलन, मानसिक भ्रम, कोमा और आखिर में मौत होने के लक्षण नजर आते हैं। मलेशिया में प्रकोप के दौरान, करीब 50 फीसदी तक मरीजों की मौत हो गई थी।
कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। नीपा वायरस के लिए कोई उपचार नहीं है। इंसानों के मामलों के लिए प्राथमिक उपचार गहन सहायक देखभाल है।
बचाव के तरीके
इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। इसे रोकने के लिये संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखें।
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Source : News Nation Bureau