जानिए स्वाइन फ्लू के लक्षण-कारण और बचाव, मजबूत करें रोग प्रतिरोधक क्षमता

स्वाइन फ्लू या एच1एन1 एन्फ्लूएंजा सांस प्रणाली का वायरल संक्रमण है, जो आम जुकाम की तरह हमला करता है।

author-image
Aditi Singh
एडिट
New Update
जानिए स्वाइन फ्लू के लक्षण-कारण और बचाव, मजबूत करें रोग प्रतिरोधक क्षमता
Advertisment

स्वाइन फ्लू या एच1एन1 एन्फ्लूएंजा सांस प्रणाली का वायरल संक्रमण है, जो आम जुकाम की तरह हमला करता है, लेकिन लक्षणों और परिणाम के रूप में बेहद गंभीर होता है। हालांकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर में इस फ्लू से बचा जा सकता है।

स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए दवा से ज्यादा बचाव कारगर होता है। स्वाइन फ्लू का खतरा मधुमेह, हृदयरोग, अस्थमा ग्रस्त और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, खासकर बुजुर्गो में ज्यादा होता है।

कैसे फैलता है
स्वाइन फ्लू आम सर्दी-जुकाम के जैसा होता है। इसके लक्षणों में खांसी, गले पकना, बुखार, सिर दर्द, कंपकंपी और थकान आदि शामिल हैं। इससे पीड़ित मरीज खांसी या छीक से इसका संक्रमण हवा में फैला सकते हैं। जब कोई व्यक्ति इन संक्रमित बूंदों के संपर्क में या संक्रमित दीवारों, दरवाजों, नलों, सिंक, फोन, कीबोर्ड को छूता है तो संक्रमण फैलता है।

बच्चों और बुर्जुगों के लिए खतरनाक
स्वाइन फ्लू के मरीजों की विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। जिन बच्चों की उम्र 5 साल के कम है, खास कर जिनकी उम्र 2 साल से कम है और जिनकी उम्र 65 साल या उससे ज्यादा है या गर्भवती महिला हैं, उनका ज्यादा खयाल रखने की जरूरत है।

बचाव ही इलाज
इसके संक्रमण से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति या खांसने/छीकने वाले व्यक्ति से तीन फुट का फासला रखें। खांसी/छींक आने पर पीड़ित व्यक्ति को मुंह और नाक को टीशू पेपर से ढंक लेना चाहिए और उस टिश्यू पेपर का तुरंत निपटान कर देना चाहिए। बीमार होने के बाद कम से कम 24 घंटे घर से न निकलें।

इसे भी पढ़ें:  भारतीय डॉक्टर्स ने पाकिस्तान के बिलाल को दिया जीवनदान

जागरूकता फैलाना जरूरी
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा करवाए गए हालिया शोध में पाया गया कि 76 प्रतिशत बच्चों को खांसते वक्त अपनाए जाने वाले बचाव के उपाय के बारे में जानकारी ही नहीं थी। फाउंडेशन के अध्यक्ष के. के. अग्रवाल ने बताया कि स्वाइन फ्लू के प्रभावी रोकथाम के लिए जागरूकता फैलाना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों में बचाव के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाई जाए। उन्हें नियमित तौर पर हाथ धोने के महत्व के बारे में जानकारी देनी चाहिए। स्वाइन फ्लू से ग्रसित व्यक्तियों को भी इसे रोकने के लिए जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्या कहते हैं आकंडें
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, स्वाइन फ्लू से इस साल मार्च तक 2,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और इससे पीड़ित कुल मामलों की संख्या 33,000 के आंकड़ें को पार कर सकती है। राजस्थान और गुजरात इससे अत्यधिक प्रभावित राज्य हैं।

IANS के इनपुट के साथ 

इसे भी पढ़ें: World Organ Donation Day 2017: इन अंगो का हो सकता है ट्रांसप्लांट

 

Source : News Nation Bureau

H1N1 virus
Advertisment
Advertisment
Advertisment