एड्स देश में आज महामारी का रूप लेता जा रहा है। एड्स के मामलों में भारत विश्व में तीसरे पायदान पर है। एड्स को लेकर बढ़ती भयावह स्थिति से निपटने के लिए हमे इसके बारे में पूरी जानकारी जुटानी बहुत जरूरी है। इस बीमारी तके बारें में लोगों में फैली भ्रामक बातों ने इसकी स्थिति को बद से बदतर कर दिया है।
क्या होता है एड्स
एड्स का पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम' है और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है। यहां ये समझना बहुत जरूरी है कि सभी एचआईवी पाजिटिव मरीजों को एड्स नहीं होता है।एचआइवी वायरस के अंतिम चरण में पहुंचने पर यह एड्स रोग का रूप लेता है।
इस वायरस की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और टी कोशिकाओं तो धीरे धीरे मार देता है। एचआईवी से ग्रस्त वयक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण भी ये वायरस आपके शरीर में पहुंच सकता है। इसके अलावा एचआईवी से संक्रमित खून चढ़ाने, इंजेक्शन के प्रयोग, स्तनपान कराने से भी ये वायरस दूसरों के शरीर में पहुंच सकता है।
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एड्स के लक्षण
एड्स के लक्षण किसी मान्य बीमारी से अलग नहीं होते है, ऐसे में इनकी पहचान हो पाना आमान नहीं होता है। फिर कुछ लक्षणों के नजर आने पर इलाज कराने से इसके प्रभावों से बचा जा सकता है।
एचआईवी के वायरस के शरीर में पहुंचने से शारीरिक क्षमता कम हो जाती है। इसके कारण मांसपेशियों में तनाव व अकड़न रहती है।
एड्स के लक्षणों में सूखी खांसी का होना भी शामिल है। अगर बिना खांसी के ही मुंह में कफ रहता है,स्वाद अच्छा नहीं लगता तो एचआईवी होने की बहुत संभावना रहती है।
इसके कारण वजन भी अचानक से गिरने लगता है, भूख लगनी बंद हो जाती है। बार बार द्स्त होने की शिकायत भी हो जाती है।
एड्स के मरीजों में गले का पकना, गले में गिल्टी होने की शिकायत भी मिलती है।
एचआईवी से बचाव
एचआईवी से बचने के लिए जागरूक होना बहुत आवश्यक है। यौन संबंध बनाते समय सावधानी बरतें।
एचआइवी वायरस के अंतिम चरण में पहुंचने पर यह एड्स रोग का रूप लेता है।
इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हेल्दी और संतुलित भोजन का सेवन करें।
एचआईवी पॉजिटिव होन पर एआरटी दवाइयों को अगर नियमित तौर पर लिया जाए तो मरीज कई वर्षों तक सामान्य जीवन जी सकता है।
Source : News Nation Bureau