अगर आपकी आंखें फड़कने (eye twitching) की प्रॉब्लम बढ़ती जा रही है. तो, ये खबर आपके बड़े काम की है. वैसे तो ये प्रॉब्लम बहुत कॉमन है. लेकिन, इसके पीछे के कारण बहुत ही सीरियस है. आई ट्विचिंग जिसे आईलिड ट्विचिंग के नाम से भी जाना जाता है. आंखों का फड़कना आमतौर पर केवल एक आंख के निचले हिस्से पर ही इफेक्ट डालता है. लेकिन, ऊपरी पलक भी फड़क सकती है. वैसे तो आई ट्वीच लंबे (Eye twitching for days) टाइम तक परेशान नहीं करती. लेकिन कभी-कभी आंखों का फड़कना महीनों तक लगातार चलता रहता है. वैसे तो इसके फिजिकल ऑर्गन्स के साथ होने वाली हर छोटी से छोटी एक्टिविटी को इंडिया में अंधविश्वास के साथ जोड़कर देखा जाता है. लेकिन, आंखें फड़कने के पीछे कुछ सीरियस हेल्थ कारण (Eye twitching causes) भी हैं. जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
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नींद की कमी
अगर आपकी बॉडी को सफिशिएंट आराम नहीं मिल पा रहा है तो ये भी आंख फड़कने की बड़ी वजह हो सकती है. हेल्दी रहने के लिए इंसान को कम से कम रोजाना 7 से 9 घंटे सोना चाहिए. इसलिए दिन के 24 घंटे में से 7-9 घंटे अपनी बॉडी को स्विच ऑफ मोड पर ही रखें. तभी आपकी आंखें फड़कने की प्रॉब्लम (sleeping disorder) कुछ कम हो पाएगी.
स्ट्रेस
स्ट्रेस की वजह से न जाने कौन-कौन सी बीमारियां लग जाती है. उन्हीं में से एक आंखें फड़कना भी है. आंख फड़कने का सबसे बड़ा कारण ही स्ट्रेस है. योग, सांस लेने के व्यायाम, दोस्तों या पेट एनिमल्स के साथ वक्त बिताना और अपने शेड्यूल में ज्यादा ब्रेक लेना जैसी आदतें स्ट्रेस को कम करने के तरीकों में से हैं. जिनके न करने पर आपकी आंखें फड़कने लगती है. स्ट्रेस की ही वजह से नींद भी नहीं आती. यही वजह है कि आई ब्लिंकिंग की प्रॉब्लम शुरू (stress) हो जाती है.
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सूंखी आंखें
कुछ लोगों ड्राई आइज का भी एक्सपीरिएंस करते हैं. जिससे आंखें फड़कने की प्रॉब्लम शुरू हो सकती है. ड्राई आइज की प्रॉब्लम वैसे तो 50 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों में दिखती है. जो ज्यादातर कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं. या फिर दवाएं (constant eye twitching) लेते हैं. इसलिए, अगर आपको ऐसी प्रॉब्लम की शिकायत होती है या आप आंखों में किरकिरापन या ड्राइनेस महसूस कर रहे हैं. तो, आप इसके इलाज के लिए डॉक्टर से कॉन्टैक्ट जरूर करें. वरना आपकी आंखें फड़कने की ये प्रॉब्लम (dry eyes) बढ़ावा ले सकती है.
एलर्जी
एलर्जी का कारण आंखों में खुजली, सूजन और आंखों में पानी आना भी होता है. जब हम आंखों को मसलते या रगड़ते हैं तो ये हिस्टामाइन को पलक के सरफेस और आँसू के रूप में छोड़ देता है. इसी की वजह से आई ट्विचिंग शुरू हो जाती है. वैसे तो ज्यादातर मामलों में ऐसा होता है कि आँखो का फड़कना एक टेम्परेरी डिजीज होती है. लेकिन, आपके साथ अगर कुछ ऐसा लगातार चलता रहता है, तो ये चिंता (allergy) का कारण बन सकता है.