लेप्टोस्पायरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो मानसून के दौरान बढ़ जाती है। भारत में इस बीमारी ने साल 2013 मे दस्तक दी थी, उसके बाद से हर साल इस बीमारी के कारण करीब पांच हजार से ज्यादा लोगों प्रभावित होते है। इस बीमारी से मरने वालों का आंकड़ा 10-15 फीसदी का रहता है। इस साल मुंबई में अब तक इसके कारण दो लोग अपनी जान खो चुके है।
यह बीमारी में जानवरों के मल-मूत्र से फैलने वाले लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। चूहों के यूरीन के संपर्क में आये पालतू जानवर इस बीमारी को इंसाने के शरीर में पहुंचा देते है। आमतौर पर यह भैंस, घोड़े, भेड़, बकरी, सूअर और कुत्ते के कारण फैलता है। बारिश के मौसम इस संक्रमण के फैलने की संभावना बढ़ जाती है ।
भारत में पिछले कुछ सालों में लेप्टोस्पायरोसिस गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और अंडमान द्वीप जैसे तटीय हिस्सों में सबसे ज्यादा देखने को मिला है।
लक्षण
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण दो सप्ताह के भीतर दिखने शुरू होते है। हालांकि कुछ मामलों में इसका पता महीने भर के बाद लगता है। यह बीमारी तेजी से आपको जकड़ती है। आपको बुखार होगा। यह 104 डिग्री तक जा सकता है। इसके अलावा इसमें सिरदर्द, मसल्स में दर्द, पीलिया, उल्टी आना, डायरिया, त्वचा पर रैशेज पड़ने जैसे लक्षण दिखते है।
यह लक्षण इतने सामान्य है कि इस बीमारी का पता लगाने के लिए आपको ब्लड टेस्ट कराने की जरूरत ही पड़ती है।
इलाज
लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज एंटीबायोटिक्स के जरिए ही किया जा सकता है। इसके अलावा शरीर दर्द आदि के लिए डॉक्टर आपको पेनकिलर दे सकते है। यह इलाज करीब हफ्ते भर के लिए चलता है। लेकिन अगर यह बीमारी गंभीर रुप ले लेती है तो आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा। इस संक्रमण की वजह से आपके शरीर के अंग भी खराब हो सकते है।
बचाव
इस बीमारी से बचाव के लिए आपको पीने के पानी के साथ सावधानी बरतनी चाहिए। कोशिश करे कि मानसून के दौरान स्विमिंग, वाटर स्कीइंग, सेलिंग आदि से बचे। इसके अलावा घर के पालतू जानवरों की साफ-सफाई पर भी जरूर ध्यान दें। अगर आप ट्रेवल कर रहे हो तो अपने आस-पास की साफ-सफाई के साथ समझौता ना करे।
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Source : News Nation Bureau