Leukemia Disease: ल्यूकेमिया एक रक्त में होने वाला कैंसर है जिसमें श्वेत रक्त कोशिकाओं में असामयिक और असंगत वृद्धि होती है. यह रक्त में विभिन्न प्रकार के लुकोसाइट्स (सफेद रक्तकणिकाएं) को प्रभावित करके शरीर की उपचार क्षमताओं को कमजोर करता है. इसका कारण जेनेटिक अशुद्धि, अधिक विकसित रक्त से, या किसी भी वायरस या अन्य तत्व हो सकता है. इससे शरीर की क्षमता कमजोर हो जाती है और इन्फेक्शन या ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है. इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानकर निदान संभव है. 2023 में ऑस्कर विनिंग गुजराती फिल्म छेलो शो में मुख्य किरदार को इसी बीमारी से जूझते हुए दिखाया गया है. WHO (World Health Organization) के आंकड़ों के अनुसार 2020 में ल्यूकेमिया से 33 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी है. ल्यूकेमिया के कई प्रकार हो सकते हैं, जो विभिन्न तरीकों से प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन इसके मुख्य दो प्रकार हैं:
एक्यूट ल्यूकेमिया (Acute Leukemia): इसमें असमान्य ब्लड सेल्स तेजी से बढ़ते हैं और उनमें से अधिकांश प्रारंभिक विकास करने में विफल हो जाते हैं.
क्रॉनिक ल्यूकेमिया (Chronic Leukemia): इसमें असमान्य ब्लड सेल्स सामान्य रूप से विकसित हो जाते हैं, लेकिन वे बौनी रक्त कोशिकाओं से अधिक होते हैं.
ल्यूकेमिया के कुछ लक्षण:
अनियमित बुढ़ापे का अभास होना
सिरदर्द और शरीर में दर्द
बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी
बुढ़ापे में तेजी से वृद्धि होना
पेट में सूजन और दर्द
ब्लीडिंग या ब्रूज़िंग में बढ़ोतरी
ल्यूकेमिया का इलाज चिकित्सक की सलाह और निरीक्षण के तहत होता है. इसमें कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, और कभी-कभी हड्डी की मांझिका (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) जैसे उपचारों का संयोजन किया जा सकता है.
ल्यूकेमिया का इलाज
ल्यूकेमिया का इलाज व्यक्ति के रोगी के स्वास्थ्य स्थिति, उम्र, और लक्षणों की चर्चा के आधार पर किया जाता है. इसमें कई विभिन्न तकनीकों का संयोजन किया जा सकता है. इसके कुछ प्रमुख उपाय हो सकते हैं:
कीमोथेरेपी: यह एक प्रमुख और सामान्य इलाज है जिसमें दवाओं का समूह प्रयुक्त होता है जो असमान्य रूप से बढ़ी हुई ब्लड सेल्स को नष्ट करने में मदद कर सकता है.
रेडिएशन थेरेपी: इसमें उच्च-ऊर्जा रेडिएशन का उपयोग किया जाता है जो एक्शन कर रहे ब्लड सेल्स को मारने में मदद कर सकता है.
बोन मैरो ट्रांसप्लांट: यह उपाय ल्यूकेमिया के इलाज में अंतिम विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है, जिसमें रोगी को स्वस्थ बोन मैरो से नए ऊतकों का प्राप्त होता है.
टारगेटेड थेरेपी: इसमें कुछ विशेष तत्वों का उपयोग किया जाता है जो केवल कैंसर को हमला करके स्वस्थ ऊतकों को अधिक सुरक्षित रखते हैं.
इम्यूनोथेरेपी: इसमें रोगी के खुद के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए दवाओं का समूह उपयोग किया जाता है.
इन उपायों को विशेष स्थितियों के अनुसार तय किया जाता है और इलाज का सफलता आधारित हो सकती है. सभी इलाजों के साथ-साथ संयोजन और समर्थनीय चिकित्सा देखभाल भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. इसके लिए रोगी को नियमित तौर पर चिकित्सक की सलाह और निगरानी में रखना चाहिए.
Source : News Nation Bureau