लगभग 8 महीने से दुनिया के कई देश लॉकडाउन (Lockdown) में हैं. भारत में लॉकडाउन 24 मार्च से लागू हुआ, इस लिहाज से यहां अभी 6 माह ही हुए हैं. ऐसे में कई करोड़ लोग अपना जॉब खो चुके हैं. लगातार घर में रहने से करोड़ों लोग तनाव और चिंता (Depression) का शिकार हो गये तो दूसरी ओर, वर्क फ्राम होम (Work from home) के दौरान लोगों को अधिक समय तक काम करना पड़ रहा है. असर यह है कि लोग कई तरह की गंभीर बीमारियों का शिकार हो गए हैं. ऐसे लोग गूगल पर तनाव और चिंता से उबरने के उपायों और दवाइयां सर्च कर रहे हैं.
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अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सर्वे में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. सर्वे के अनुसार, COVID-19 के दौरान दुनिया के 17% से अधिक लोग डिप्रेशन के शिकार हैं. हर दो में से एक युवा तनाव का शिकार हैं.
युथ एंड कोविड-19: इंपैक्ट ऑफ जॉब्स, एजुकेशन, राइट एंड मेंटल वेल बीइंग शीर्षक से प्रकाशित इस स्टडी में 112 देशों से 12,000 से अधिक लोगों की प्रतिक्रयाएं ली गईं. स्टडी में 18-29 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया गया. इन लोगों से रोजगार, शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण जैसे विषयों को शामिल किया गया.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन स्टडी में रेग्युलर क्लास की अपेक्षा 65 फीसदी कम सीखने को मिला है. 50% युवा छात्रों का कहना था कि उन्हें अपनी शिक्षा में देरी की आशंका है. जिससे वो तनाव से जूझ रहे हैं. 9% ने कहा कि उन्हें अपनी परीक्षा में 'फेल होने' की आशंका है.
Source : News Nation Bureau