दांत (Teeth) हमारे शरीर का ऐसा अंग होते हैं, जो ना सिर्फ चेहरे की सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य में भी अहम किरदार निभाते हैं. दांत यदि स्वस्थ्य होंगे तो आप अच्छे से भोजन को बचा कर खा सकते हैं. इससे भोजन पहने में आसानी में होती है और आप स्वास्थ्य रहते हैं. इसके अलावा कमजोर दांत (Weak Teeth) वालों को फलों यादि को खाने में भी दिक्कत होती है. अब बात करते हैं दांतों (Oral Health Day) को होने वाली बीमारियों की. दांतों को नुकसान क्यों पहुंचता है इस बात को समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि दांत होता क्या है. दांत, हड्डी के नहीं बने होते बल्कि ये अलग-अलग घनत्व व कोठर ऊतकों या टिशुओं से बने होते हैं. विभिन्न खाद्य पदार्थों में मिलावट के चलते बड़े पैमाने पर लोगों में दांतों की बीमारियां देखने को मिल रही हैं. आपको मालूम होना चाहिए कि दांतों की बीमारियों का संबंध शरीर की अन्य बीमारियों से भी होता है.
हैलिटोसिस- हैलिटोसिस को आमतौर पर मुंह की दुर्गंध के रूप में जाना जाता है. मुंह से दुर्गंध आना सबसे शर्मनाक दांत की समस्याओं में से एक है. यह सामाजिक शर्मिंदगी का कारण भी बन सकता है. हैलिटोसिस के कारण दांतों को क्षति पहुंच सकती है.
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पायरिया- शरीर में कैल्शियम की कमी होने, मसूड़ों की खराबी और दांत-मुँह की साफ सफाई में कमी रखने से होता है. इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है. सांसों की बदबू की वजह भी पायरिया को हीन माना जाता है. पायरिया होने पर जब आप दांतों को ब्रश करते हैं तो उस समय मसूड़ों से खून निकलता है. सांसों से बदबू आने लगती है. दांत ढीले हो जाते हैं या दांतों की स्थिति में परिवर्तन हो जाता है. चबाने पर दर्द महसूस होता है. दांतों के बीच अंतराल बढ़ जाता है और दांत टूटकर गिरने लगते हैं. अपने मुंह का स्वाद परिवर्तित हो जाता है.
कैविटी- इसमें दांतों में कीड़े लग जाते हैं, जो धीरे-धीरे दांत को कमजोर कर देते हैं. ये बीमारियां विशेषतौर पर तब होती हैं, जब खाना दांतों पर चिमका रह जाता है. बहुत ज्यादा चॉकलेट, टॉफी को खाने वाले बच्चों में ये बीमारी ज्यादा पाई जाती है. इस बीमारी में दांत कमजोर हो जाते हैं और टूट कर गिर भी जाते हैं.
एनामेलोमास- एनामेलोमास दांतों की वह असामान्यता है जिसमें दांतों के कुछ हिस्सों पर इनामेल पाया जाता है जहां इनामेल नहीं होना चाहिए. यह जड़ों के बीच के हिस्सों में पाया जाता है, जिसे दाड का विभाजन भी बोलते हैं.
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हाइपोडंटिया- दांतों की वह असामान्यता है जिसमें 6 या 6 से अधिक प्राथमिक दांत, स्थिर और पक्के दांत या फिर दोनों प्रकार के ही दांत विकसित नहीं हो पाते हैं. यह एक अनुवांशिक रोग है जो किसी-किसी मनुष्य में पाया जाता है.
पीरियडोंटल या मसूड़ों की बीमारी- यह लाल रंग के सूजे हुए, दर्दनाक गम और संवेदनशील दांतों के लक्षण होते हैं. और इसे नियमित रूप से सुबह और रात को ब्रश करने और दांतों को फ्लॉस करने से रोका जा सकता है.
इसके अलावा शरीर की अन्य बीमारियों का असर भी दांतों पर पड़ता हैं. इन बीमारियों में भी दांत कमजोर हो जाते हैं.
डायबिटीज के दौरान दांत कमजोर होना- मधुमेह के रोगियों में मसूड़ों में सूजन, दांतों का ढीलापन और मुंह से बदबू आना आदि की समस्या पाई जाती है. इन रोगियों में मुंह की लार में पाए जाने वाले कीटाणु अधिक सक्रिय हो जाते हैं. इसलिए उनके मसूड़ों और जबड़े की हड्डी में संक्रमण हो जाता है. ऐसे में दांत कमजोर हो जाते हैं.
गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों में सूजन- गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण मसूड़ों में सूजन एवं खून आने की शिकायत जिसे प्रग्नेंसी जिंजीपाइटिस कहते हैं पाई जाती है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने दांतों का चेकअप करवाते रहना चाहिए. इसके अतिरिक्त अर्थराइटिस, अस्थमा आदि में भी दांतों का खास ध्यान रखना चाहिए.
ब्लड प्रेशर की बीमारी- इन रोगियों में मसूड़ों से खून आना, दुर्गंध और मुख में सूखापन आदि की समस्या पाई जाती है. अत: इन रोगियों को अपने रक्तचाप को नियंत्रण में रखना चाहिए. हृदय रोग में होने वाले दर्द को आमतौर पर कभी-कभी दांत के दर्द से जोडक़र देख लिया जाता है.
ऐसे रखें दांतों का ख्याल
हमेशा नरम बालों वाले ब्रश का उपयोग करें. नियमित रूप से प्रात: व सोने से पूर्व ब्रश करें. ब्रश करने में लगभग दो मिनट का समय दें. बहुत देर तक ब्रश करना दांतों के इनेमल के लिए हानिकारक होता है. अच्छे फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का प्रयोग करें. ब्रश को प्रत्येक चार महीने में बदल दें. दांतों की दरारों को साफ करने के लिए डेंटल फ्लॉस अथवा मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध इंटर डेंटल ब्रश का उपयोग करें. माउथवॉश का नियमित रूप से प्रयोग करें.
HIGHLIGHTS
- दांत, हड्डी के नहीं बने होते
- दांत, टिशुओं से बने होते हैं
- दांतों की बीमारियों का संबंध शरीर की अन्य बीमारियों से भी होता है