महामारी कोरोना का दौर चल रहा है हर कोई इस वायरस के कारण परेशान हैं. सभी इस खतरनाक संक्रमित बीमारी से मुक्ति पाने का इतंजार कर रहे हैं. कोरोनावायरस ने हर किसी को घरों में कैद कर दिया है, वो चाहकर भी पहले की तरह जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं. ऐसे में लोगों को वर्तमान के साथ ही भविष्य को लेकर भी बहुत सी चिंताओं ने घेर लिया है.
और पढ़ें: पार्टनर के साथ रिश्तों में हो तनाव तो जकड़ सकती हैं आपको ये 5 बीमारियां
इन दिनों लोगों को कई तरह की मानसिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. नतीजन, उनके अंदर कई अजीब खतरनाक ख्यालात घर कर रहे हैं, जिसका परिणाम बेहद बुरा हो सकता हैं. अगर आप या आपके जानने वाले किसी भी तरह के मानिसक बीमारी या डिप्रेशन जैसी समस्याओं जूझ रहे हैं तो आज से ही सावधान हो जाएं.
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज-
1. अकेला और होपलेस महसूस होना
2. अचानक गुस्सा और रोना आना
3. घबराहट, तेज धड़कन महसूस होना
4. किसी भी काम में फोकस न कर पाना
5. हाथ पैर फूल जाना, चक्कर आना और सिर में दर्द रहना
6. लाइफ के बुरे अनुभव को याद करते रहना
7. किसी भी काम में मन न लगना
8. हमेशा दुखी रहना या किसी गिल्टी महसूस होना
तनाव भगाने के लिए करें ये काम-
1. म्यूजिक मेंटल हेल्थ बूस्टर (Mental Health Booster) का काम करता है. रात में अगर नींद न आए तो संगीत को सुनकर मानसिक रूप से तरोताजा हो जाएं. बुरे खयाल दिमाग में न आएं इसके लिए म्यूजिक कारगार उपाय है.
2. अकेले रहते समय मानसिक परेशानी से बचने के लिए आप प्रकृति का सहारा लें. पार्क में जाएं, किसी झील के किनारे जाएं और नेचर से खुद को कनेक्ट करें. नेचर के बीच जाने से गलत विचार दिमाग में नहीं आएंगे और आप तरोताजा महसूस भी करेंगे.
3. अकेले रहते हुए नकारात्मक विचारों से बचने के लिए जरूरी है कि आप खाली न बैठें. हमेशा किसी न किसी काम में खुद को व्यस्त रखें. नहीं तो लोगों से बात करते रहे.
4. रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से आदमी स्वस्थ और बुद्धिमान होता है. इसलिए रात में समय से सोने की आदत डालें. रात में दिमाग में अकसर बुरे विचार आते हैं.
5. सुबह-सुबह सूर्य नमस्कार या फिर मेडिटेशन करें. यह सबसे बेहतरीन उपाय है. मेडिटेशन से सुबह की शुरुआत करने से दिन भर मन स्वस्थ रहता है और दिमाग से नकारात्मक बातें छूमंतर हो जाती हैं. आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं.
क्या होता है डिप्रेशन?
डिप्रेशन एक मेंटल डिसऑर्डर है, जो तुरंत किसी व्यक्ति पर हावी नहीं होता है. बल्कि इसके अलग-अलग चरण यानी फेज़ होते हैं. अगर किसी व्यक्ति में कुछ लक्षणों के आधार पर शुरुआती स्तर पर ही इसकी पहचान हो जाए तो व्यक्ति को गंभीर डिप्रेशन में जाने से बचाया जा सकता है. सबसे पहले व्यक्ति को स्ट्रेस यानी तनाव होता है. इसका कारण सामाजिक, आर्थिक या भावनात्मक कुछ भी हो सकता है. स्ट्रेस को कम करने का प्रयास ना किया जाए तो यह एंग्जाइटी में बदल जाता है. यदि एंग्जाइटी लंबे समय तक बनी रहे और उसका ट्रीटमेंट ना हो तो वह डिप्रेशन का रूप ले लेती है. डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक अकेले वक्त गुजारना ही ठीक समझते हैं. वह लोगों की भीड़ से बचते हैं और अपने आप को बंद कमरे में कैद रखना पसंद करते हैं.
Source : News Nation Bureau