केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के विशिष्ट क्षेत्र में परास्नातक डॉक्टरों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने की अनुमति दे दी है. अब ये डॉक्टर सामान्य ट्यूमर, गैंग्रीन और नाक तथा मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर सकते हैं. गैंग्रीन बीमारी होने पर शरीर के ऊतक नष्ट होने लगते हैं. चोट, संक्रमण या किसी अन्य समस्या के कारण शरीर के किसी भाग में खून न जाने के चलते गैंग्रीन होता है. आयुष मंत्रालय के तहत आने वाली वैधानिक संस्था भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (CCIM-सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में 39 सामान्य ऑपरेशन प्रक्रियाओं और करीब 19 प्रक्रियाओं की सूची हैं जिनमें आंख, कान, नाक, गला आदि हैं. इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (परास्नातक आयुर्वेद शिक्षा), नियमन 2016 में संशोधन किया गया है.
हालांकि भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध किया है. IMA ने इस फैसले को मेडिकल संस्थानों में चोर दरवाजे से एंट्री की कोशिश बताया है और कहा है कि ऐसे में NEET जैसी परीक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाएगा. IMA ने सरकार से इस अधिसूचना को वापस लेने की भी मांग की है.
अधिसूचना में कहा गया है कि पढ़ाई के दौरान शल्य और शल्क्य में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने की ट्रेनिंग दी जाएगी. आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि सीसीआईएम की अधिसूचना नीति में किसी तरह का बदलाव का सूचक नहीं है या कोई नया फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि अधिसूचना आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए ऑपरेशन के सभी क्षेत्रों को नहीं खोलती है, बल्कि उन्हें कुछ विशिष्ट चीजों का ऑपरेशन करने की अनुमति देती है.
कोटेचा ने स्पष्ट किया परास्नातक करने वाले सभी चिकित्सकों को ऑपरेशन करने की इजाजत नहीं है, बल्कि जिन्होंने शल्य और शल्क्य में परास्नातक किया है, सिर्फ वे ही ये ऑपरेशन कर सकेंगे. सीसीआईएम के संचालक मंडल के प्रमुख वैद्य जयंत देवपुजारी ने स्पष्ट किया कि आयुर्वेदिक संस्थानों में 20 साल से ऑपरेशन होते आए हैं और अधिसूचना उन्हें कानूनी जामा पहनाती है.
Source : News Nation Bureau