जैसा अन्न वैसा मन कुछ नियमित कथन हैं, जो लोग समय-समय पर सुनते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि हमारे पूर्वजों ने स्वच्छ भोजन खाने की सिफारिश क्यों की है. हालांकि नई पीढ़ी का झुकाव रिफाइंड, पैकेज्ड, जंक फूड की ओर है, लेकिन उन्हें इस बात का एहसास बहुत कम है कि इसका मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन चीजों के उपयोग से हमारे शरीर पर गलत असर पड़ सकता है. खासतौर पर ऐसे भोजन का असर हमारे मस्तिष्क पड़ता है. इसकी वजह से कभी - कभी हमारे मस्तिष्क में सूजन भी आ सकती है. आज हम अपनी इस खबर में यही बताएंगे कि कैसे ? अपने मन में होने वाले बदलाव में ठहराव लाएं.
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जिंक: जिंक की कमी मस्तिष्क और हिप्पोकैम्पस के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को बदल सकती है और इससे खराब पाचन और मूड स्विंग होने की संभावना होती है. जिंक की कमी पूरा करने के लिए बादाम, पालक, चिकन का सेवन करना चाहिए.
विटामिन बी 6: विटामिन बी 6 मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मूड को प्रभावित करने वाले हार्मोन – सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्त्राव को प्रभावित करता है. इस पोषक तत्व की कमी से अवसाद, चिंता, थकान, भ्रम, पीएमएस और चिड़चिड़ापन हो सकता है. यह शराब के सेवन या कुछ दवाओं के चलते होता है. इसकी कमी पूरा करने के लिए मेवा, पत्तेदार साग, समुद्री भोजन का सेवन करना चाहिए.
एंटीऑक्सिडेंट: एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने में मदद करते हैं जिससे अवसाद और चिंता के रूप में बीमारियों और मानसिक संकट के जोखिम को कम किया जा सकता है. अतिरिक्त शर्करा, परिष्कृत कार्ब्स, संतृप्त और ट्रांस वसा सूजन के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं. रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.