Muscular Dystrophy: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जेनेटिक रोग है जो मांसपेशियों की कमजोरी और अस्थिरता का कारण बनता है. यह रोग डिस्ट्रॉफिन नामक प्रोटीन के अभाव में होता है, इस बीमारी में मांसपेशियों की संरचना में कमी होती है. यह रोग बचपन में शुरू होता है और समय के साथ मांसपेशियों की कमजोरी बढ़ती है, जिससे व्यक्ति की चलने, खड़े रहने, और अन्य गतिविधियों में परेशानी होती है. यह एक प्रोग्रेसिव रोग है, जिससे व्यक्ति की चलने, खड़े रहने और अन्य गतिविधियों में परेशानी होती है. इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन चिकित्सा देखभाल और थैरेपी से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है और व्यक्ति को सहायता प्रदान की जा सकती है. यह अधिकांश लोगों के लिए जीवन लंबाई को कम कर सकता है और अधिकांश मामलों में यह रोग मर्दाना लिंग के व्यक्तियों में अधिक प्रभावी होता है. हाल ही में आई बॉलीवुड फिल्म सलाम वैंकी में इस बीमारी से ग्रसित एक 15 साल के बच्चें और उसकी मां के संघर्ष को दर्शाया गया है. अगर आंकड़ों की बात करें तो दुनियाभर में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से 5 हजार में सें 1 से लेकर 6 हजार में से 1 व्यक्ति प्रभावित होता है.
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण
मांसपेशियों में कमजोरी: यह एक सामान्य लक्षण है जिसमें मांसपेशियों में कमजोरी होती है, जिससे व्यक्ति की चलने में परेशानी हो सकती है.
जोड़ों और हड्डियों की कमजोरी: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के व्यक्ति में जोड़ों और हड्डियों की कमजोरी होती है, जिससे सामान्य गतिविधियों में भी परेशानी हो सकती है.
अस्थिरता: व्यक्ति की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण, वह अस्थिर हो सकता है और अपने स्थिति को सामान्य रूप से संभालने में मुश्किल महसूस कर सकता है.
मोटापा: कुछ डिस्ट्रॉफिया के प्रकार में मोटापा भी देखा जा सकता है.
नियंत्रण में विकार: कुछ मामलों में, व्यक्ति को नियंत्रण में विकार होता है, जैसे कि उनके बोलने और चलने में समस्याएं होती हैं.
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आम तौर पर 4 तरह को होते हैं:
ड्यूशन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy - DMD): यह सबसे सामान्य और सबसे गंभीर प्रकार का मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है. यह एक जननांतरीय रोग है जो लड़कों में पाया जाता है. इसकी शुरुआत बचपन में होती है और विकासशीलता के साथ-साथ पेशियों का कमजोर होना शुरू होता है, जिससे वे सामान्य रूप से नहीं काम करते हैं.
बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Becker Muscular Dystrophy - BMD): यह एक और प्रकार का मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है, जो दुश्चरित्र मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के बहुत ही समीप है, लेकिन यह धीरे और धीरे प्रभावित होता है और कम गंभीर हो सकता है. इसकी शुरुआत और लक्षण भी बदलते हो सकते हैं.
लिम्ब-गर्डल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Limb-Girdle Muscular Dystrophy - LGMD): यह मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का एक बड़ा समूह है जो पेशियों को प्रभावित करता है जो घुटने और कूल्हों के आसपास होते हैं. इसमें पेशियों का कमजोर होना लगभग सभी लिम्बों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों को नहीं.
फ़ेसियोस्कैपुलोह्यूमरल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Facioscapulohumeral Muscular Dystrophy - FSHD): यह मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों की असामान्य स्थिति का कारण बनती है. यह अक्सर चेहरें की मांसपेशियों, बाहों, पेट के अंदर, और पेट के बाहरी भागों को प्रभावित करती है. यह रोग अधिकतर पूर्वनिर्धारित और जेनेटिक होता है.
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के संभावित इलाज
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का कोई नियंत्रण या ठीक करने का उपाय अभी तक नहीं है, क्योंकि यह एक जेनेटिक रोग है और डिस्ट्रॉफिन प्रोटीन के अभाव में होता है, जिससे मांसपेशियों की कमजोरी होती है. इसके बावजूद, चिकित्सा संचालन और थैरेपी से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है, जो व्यक्ति के जीवन को सामान्य बनाने में मदद कर सकते हैं. आइए जानें इसके कुछ संभावित इलाज:
फिजियोथेरेपी: फिजियोथेरेपी द्वारा, अस्थिरता को कम किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति की स्वतंत्रता और सामान्य गतिविधियों में सुधार हो सकता है.
आयुर्वेदिक चिकित्सा: कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सा विधियों का उपयोग अस्थिरता को कम करने और शरीर की स्थिति को सुधारने के लिए किया जा सकता है.
निदान और उपचार: समय-समय पर डॉक्टर के परामर्श और निदान द्वारा, अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है और उनका इलाज किया जा सकता है.
संबंधित सहायता: व्यक्ति और उनके परिवार को मासिक चिकित्सा जाँच और सहायता सेवाओं का लाभ लेना चाहिए, जो उन्हें रोग के प्रबंधन, सामाजिक समर्थन, और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान कर सकते हैं.
अधिकतर मामलों में, डिस्ट्रॉफी के इलाज का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को नियंत्रित करना और व्यक्ति को सामान्य जीवन की गतिविधियों में सहायता प्रदान करना होता है.
Source : News Nation Bureau