आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले में लोगों को हो रही एक रहस्यमयी बीमारी के लिए रक्त में शीशा और निकेल, चावल में पारा, सब्जियों में कीटनाशक और खर-पतवार नाशक दवाइयों की अत्यधिक मात्रा जिम्मेदार है. शुक्रवार को एक विश्लेषात्मक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. हालांकि, आज बीमारी के सिर्फ चार नए मामले आए हैं. लेकिन जिले में अभी तक कुल 613 लोग इससे ग्रसित हुए हैं, जिनमें से 13 का फिलहाल इलाज चल रहा है.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और भारतीय रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है उसके अनुसार, मरीजों के रक्त में सीसा और निकेल की मात्रा मिली है लेकिन पीने के पानी में ऐसा कोई प्रदूषण नहीं मिला है. राष्ट्रीय पोषण संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए विश्लेषण में चावल में पारा और सब्जियों में कीटनाशक और खर-पतवार नाशक दवाइयों की अत्यधिक मात्रा होने का प्रमाण मिला है.
संस्थान को अपने विश्लेषण में रक्त में ऑरगेनोफॉस्फोरस की मात्रा भी मिली है लेकिन उसका कहना है कि उसे अध्ययन करना होगा कि यह मनुष्य के भीतर कैसे पहुंचा है. ऑरगेनोफॉस्फोरस एक प्रकार का यौगिक है जो मनुष्यों के लिए बहुत नुकसानदेह होता है. आंध्रप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु और पानी की गुणवत्ता का अध्ययन किया गया और उसे दोनों ही में किसी भी भारी धातु की उपस्थिति का प्रमाण नहीं मिला है.
इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन को भी अपने विश्लेषण दूध के नमूनों में कोई भारी धातु नहीं मिला है. राज्य के स्वास्थ्य आयुक्त के. भास्कर के अनुसार, मांस और मछली के विश्लेषण की रिपोर्ट आनी अभी शेष है.
Source : Bhasha