National Vaccination Day 2023: मानवजाती के लिए बीमारी से लड़ने की क्षमता का विकास सदियों से जारी है. जैसे-जैसे वातावरण में बदलाव होता गया, वैसे-वैसे बीमारियों की लंबी फेहरिस्त सामने आती गई. विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कारण हमारी लाइफस्टाइल है और वातावरण से मिलने वाले किटाणु और वायरस हैं. इन रोगों से निपटने के दो तरीके हैं, एक तो दवा देकर इसे ठीक किया जाए, वहीं दूसरा तरीका है कि वैक्सीन को लगाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास किया जाए. 16 मार्च यानि आज का दिन भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मानाया जाता है. इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन बहुत महत्व देता है.
यह है इतिहास
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पहली बार 1995 में मानाया गया. भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश से पोलियो उन्मूलन के पल्स पोलियो प्रतिरक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की थी. 16 मार्च, 1995 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पहल पर देश में मौखिक पोलियो वैक्सीन की खुराक उपलब्ध हुई. इसे 'दो बूंद जिंदगी' की के नाम से प्रचार किया गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में अंतिम बार पोलियो का मामला सामने आया. WHO ने 27 मार्च, 2014 को देश को पोलियो मुक्त कर दिया.
Bipin Rawat Birth Anniversary: मौत से कुछ सेकेंड पहले बिपिन रावत ने कही थी खास बात, अधूरा रह गया ये सपना
कोविड महामारी के खास सबक
कोविड के बाद से टीकाकरण की अहमियत सामने आई. विश्व को यह समझ में आया कि कोरोना महामारी से वैक्सीनेशन से बचा जा सकता है. इस लाइलाज संक्रमण से लड़ने के लिए इंसान के पास पहले से किसी तरह की दवा नहीं थी. इस कारण कई लोगों की जान चली गई. मगर महामारी से उबरने में टीकाकरण काफी अहम साबित हुआ.
किसलिए मनाया जाता है दिवस
हर वर्ष 16 मार्च को देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया जाता है. इसे राष्ट्रीय प्रतिरोध क्षमता दिवस के रूप में कहा जाता है. इसका उद्देश्य टीकाकरण की प्रक्रिया और उसके तंत्र को कारगर बनाना है.
HIGHLIGHTS
- राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पहली बार 1995 में मानाया गया
- WHO की पहल पर देश में पोलियो वैक्सीन की खुराक उपलब्ध हुई
- WHO ने 27 मार्च, 2014 को देश को पोलियो मुक्त कर दिया