सावधान! 'निपाह' वायरस ने केरल में दी दस्तक, 86 लोगों को रखा गया निगरानी में

केरल की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने मंगलवार को पुष्टि करते हुए कहा कि कोच्चि के पास इलाज करा रहे युवक की निपाह वायरस (एनआईवी) की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.

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Vineeta Mandal
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सावधान!  'निपाह' वायरस ने केरल में दी दस्तक, 86 लोगों को रखा गया निगरानी में

'निपाह' वायरस ने केरल में दी दस्तक (सांकेतिक चित्र)

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केरल की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने मंगलवार को पुष्टि करते हुए कहा कि कोच्चि के पास इलाज करा रहे युवक की निपाह वायरस (एनआईवी) की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इस जांच की पुष्टि पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी ने की. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, 'निपाह के शक के 86 मामले आए थे, जिनमें से 2 को एडमिट करवाया गया. इनमें से 1 की पुष्टि हो गई है और 1 मरीज के खून के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं. वहीं पीड़ितों की देखभाल में लगी नर्सों को भी गला खराब और बुखार की शिकायत हुई है.'

वहीं केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, ' आज सुबह मैंने स्वास्थ्य सचिव सहित सभी अधिकारियों के साथ अपने आवास पर बैठक बुलाई. कल ही हमने छह अधिकारियों की एक टीम को केरल भेजा था.'

उन्होंने आगे कहा, 'मैंने केरल की स्वास्थ्य मंत्री को केंद्र सरकार से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है. हम वायरस के परीक्षण के लिए चमगादड़ों के विषय में उनकी मदद लेने के लिए वन्यजीव विभाग के संपर्क में हैं. मुझे नहीं लगता कि घबराने की कोई जरूरत है.'

क्या होता है निपाह वायरस

WHO की रिपोर्ट के अनुसार निपाह वायरस टेरोपस जीनस नामक एक खास नस्ल के चमगादड़ से मिला है. डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस को पशु स्वास्थ्य स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता के विश्व संगठन में सूचीबद्ध किया है. निपाह वायरस इंफेक्शन का नाम मलेशिया के गांव से पड़ा है जहां एक व्यक्ति की इस बीमारी के कारण मौत हो गई थी. मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे.

कैसे फैलता है निपाह

यह वायरस फ्रूटबैट्स के जरिये इंसानों और जानवरों पर हमला करता है. यह वायरस बैट के मल-मूत्र, लार, और प्रसव तरल पदार्थ में मौजूद होता है. खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्‍शन की चपेट में जल्‍दी आते हैं. 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे.

निपाह वायरस के लक्षण 

आम तौर पर, पीड़ित को इस इन्सेफलेटिक सिंड्रोम के रूप में तेज संक्रमण बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, विचलन, मानसिक भ्रम, कोमा और आखिर में मौत होने के लक्षण नजर आते हैं. मलेशिया में प्रकोप के दौरान, करीब 50 फीसदी तक मरीजों की मौत हो गई थी.

कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्‍या का भी सामना करना पड़ सकता है. निपाह वायरस के लिए कोई उपचार नहीं है. इंसानों के मामलों के लिए प्राथमिक उपचार गहन सहायक देखभाल है.

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निपाह वायरस के बचाव के तरीके

इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए. पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए. बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए. यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. इसे रोकने के लिये संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखें.

Source : News Nation Bureau

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