Nipah virus: कहर बरपाने लगा अब ये वायरस, 75% तक लोगों की मौत होने की संभावना, 48 घंटे में कोमा में पहुंच जाता है मरीज

Nipah virus: केरल में निपाह वायरस ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं. केरल में इसका पांचवां केस सामने आया है. मलप्पुरम में 14 वर्षीय एक किशोर में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है. जिसके चलते सूबे में संभावित वायरस के प्रकोप को लेकर अलर्ट जारी है.

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Nipah virus

Nipah virus( Photo Credit : social media )

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Nipah virus: केरल में निपाह वायरस ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं. केरल में इसका पांचवां केस सामने आया है. मलप्पुरम में 14 वर्षीय एक किशोर में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है. जिसके चलते सूबे में संभावित वायरस के प्रकोप को लेकर अलर्ट जारी है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शनिवार को मलप्पुरम जिले में एक हाईलेवल मीटिंग की अध्यक्षता की. इसमें निपाह वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की गई. निपाह वायरस (NiV) जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है. इसे जूनोटिक डिजीज कहा जाता है. ये चमगादड़ों और सुअर से इंसानों में फैल सकता है. यह वायरस बुखार, उल्टी, सांस की बीमारी और मस्तिष्क में सूजन का कारण बन सकता है. इस वायरस का पहली बार 1999 में पता चला था. एक रिर्पोट के अनुसार संक्रमण से पीड़ित लगभग 40% से 75% लोग इससे मर जाते हैं. यह दर वायरस का पता लगाने और प्रबंधन करने की देशों की क्षमताओं के आधार पर अलग-अलग होती है. लक्षण हल्के बुखार और सिरदर्द से लेकर मस्तिष्क में संक्रमण या मृत्यु तक हो सकते हैं. आइए जानते है इसके बारे में. 

निपाह वायरस के लक्षण हैं

निपाह वायरस से पीड़ित होने पर सामान्य वायरल बुखार के लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा यह संक्रमण तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है. इससे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो जाती है. जिससे एन्सेफलाइटिस या मस्तिष्क की सूजन जैसी समस्या हो सकती है. इससे 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है. निपाह वायरस से हल्के से लेकर गंभीर लक्षण जैसे कि एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क संक्रमण) और मौत हो सकती है. इसके इलाज के लिए कोई दवा या टीका नहीं है.  इसके अलावा सांस लेने में कठिनाई, खांसी और खराब गला, दस्त, उल्टी करना,  मांसपेशियों में दर्द और गंभीर कमजोरी भी इसके लक्षण हैं. 

ऐसे फैलता है ये वायरस 

लोगों या जानवरों का संक्रमित पशु के शारीरिक तरल पदार्थ (रक्त, मल, पेशाब या लार) के साथ संपर्क होना. लोग संक्रमित पशुओं द्वारा संदूषित खाद्य पदार्थ खाते हैं. लोग निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करते समय उसके निकट संपर्क में रहते हैं.

ऐसे करें बचाव 

निपाह वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उन क्षेत्रों में बीमार जानवरों (खासकर चमगादड़ और सूअर) के संपर्क में आने से बचें, जहां संक्रमण के बारे में पता हो. इसमें ऐसे खाद्य उत्पादों से बचना शामिल है, जिन्हें संक्रमित जानवर दूषित कर सकते हैं, जैसे कि कच्चे खजूर का रस या फल. वायरस शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, इसलिए आपको निपाह वायरस से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के पास जाने से बचना चाहिए या सावधानी बरतनी चाहिए.

यहां पाया जाता है निपाह वायरस

निपाह वायरस का प्रकोप लगभग हर वर्ष एशिया के कुछ हिस्सों, मुख्यतः बांग्लादेश और भारत में होता है.

वायरस का पहली बार 1999 में पता चला

इस वायरस का पहली बार 1999 में पता चला था, जब इसकी वजह से मलेशिया और सिंगापुर में 100 लोगों की मौत हो गई थी. इस वायरस की वजह से 10 लाख से ज्यादा सूअर मारे गए थे, जिसका इन देशों पर बहुत बड़ा आर्थिक असर पड़ा था. 1999 से अब तक इस वायरस के लगभग 20 और मामले सामने आ चुके हैं.

मनुष्यों को क्या नुकसान पहुंचाता है?

निपाह वायरस इंसानों के लिए जानलेवा हो सकता है. रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (अमेरिका) के अनुसार, सभी मामलों में से 40% से 75% मामलों में मृत्यु हो सकती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्वास्थ्य अधिकारी प्रकोप को कितनी अच्छी तरह से प्रबंधित कर पाते हैं.

Disclaimer सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.

Source : News Nation Bureau

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