Corona Vaccination : भारत में वक्सीनशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसी कड़ी में नोवोवैक्स( Novavax) और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ( Serum Institute Of India) ने मंगलवार को भारत में 12-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए अपने कोविड-19( Covid-19) वैक्सीन के पहले आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी दे दी है. जानकारों और नोवोवैक्स द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक वैक्सीन को NVX-CoV2373 के नाम से भी जाना जाता है. वहीं भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा इसे 'नोवोवैक्स' नाम के तहत निर्मित किया जा रहा है. यह पहला प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है जो भारत में किशोरों पर इस्तेमाल किया जाएगा.
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ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 12 साल और उससे ज्यादा उम्र वाले बच्चों के लिए कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) के कारण होने वाले कोविड-19 बीमारी को रोकने के लिए 'नोवोवैक्स' के आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग की मंजूरी दी है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक नोवावैक्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेनली सी एर्क ने कहा, "हमें किशोरों के लिए इस वैक्सीन की पहली मंजूरी मिलने पर गर्व है. उन्होंने कहा कि हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि इस वैक्सीन की प्रभावकारिता और सुरक्षा भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए एक वैकल्पिक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन के ऑप्शंस देगी.
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वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ( Serum Institute Of India) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने कहा, "भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के किशोरों के लिए नोवोवैक्स की मंजूरी भारत और निम्न एवं मध्यम आय वाले देश (एलएमआईसी) में हमारे टीकाकरण प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है." उन्होंने कहा, "हमें अपने देश के किशोरों के लिए एक अनुकूल सुरक्षा प्रोफ़ाइल के साथ प्रोटीन-आधारित कोविड-19 वैक्सीन देने पर गर्व है."
बता दें कि डीसीजीआई ने पहले ही 28 दिसंबर को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए 'नोवोवैक्स' के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी आपातकालीन उपयोग की सूची में शामिल वैक्सीन में भी 'नोवोवैक्स' का नाम शामिल है.
कैसे काम करती है यह वैक्सीन?
नोवोवैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है और इसलिए मॉडर्ना और फाइजर द्वारा विकसित एमआरएनए वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बनाई गई वायरल-वेक्टर वैक्सीन और सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाई गई निष्क्रिय-वायरस वैक्सीन से अलग है. ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव के लिए इनमें स्पाइक प्रोटीन होते हैं जो वायरस के असर को ख़त्म कर देता है. यह वैक्सीन 90 से 91 प्रतिशत काम करता है.
HIGHLIGHTS
- कोविड-19 वैक्सीन के पहले आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी
- प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है जो भारत में किशोरों पर इस्तेमाल किया जाएगा
- वैक्सीन में भी 'नोवोवैक्स' का नाम शामिल