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अब 3 घंटे में पूरी होगी 8 घंटे की नींद, महाभारत में हुआ था इस तकनीक का इस्तेमाल

8 घंटे की नींद को 4 घंटे में पूरा करना नॉन स्लीप डीप रेस्ट यानी NSDR से ही पॉसिबल है, जो कम समय में पूरी तरह से रिलैक्सिंग नींद देता है.

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Nandini Shukla
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3 घंटे में पूरी होगी 8 घंटे की नींद( Photo Credit : rtrfm)

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आजकल के तनाव भरे जीवन में और बिगड़े हुए खान पान की लाइफस्टाइल से कई लोगों में कई तरह की बीमारियों के लक्षण  हैं. लोगों को ख़ास कर दोपहर की और रात की नींद से बड़ा प्यार होता है. कुछ भी हो जाये वो दोपहर की नींद लेना नहीं छोड़ते. लेकिन ऑफिस में या काम में नींद कभी भी पूरी नहीं हो पाती है. इसके लिए अलग उपाए भी है. 8 घंटे की नींद को 4 घंटे में पूरा करना नॉन स्लीप डीप रेस्ट यानी NSDR से ही पॉसिबल है, जो कम समय में पूरी तरह से रिलैक्सिंग नींद देता है. तो चलिए जानते हैं कैसे कर सकते हैं अपनी नींद को पूरा. 

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क्या है नॉन स्लीप डीप रेस्ट तरकीब ?

दरअसल नींद की ये प्रक्रिया मेडिटेशन ही है. इसमें लेटे-लेटे ही ध्यान लगाया जाता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस तकनीक से आप जागते हुए भी सोने के लाभ पाते हैं. दिमाग इस समय उस तरह रिलेक्स कर रहा होता है, जैसे की सोते समय होता है. ये तकनीक तनाव से मुक्त करके गहरी नींद दिलाती है. इसकी लगातार प्रैक्टिस करने से आप 8 घंटे की नींद को 4 घंटे में ही पूरा कर सकते हैं.

कैसे किया जाता है NSDR? 

दिमाग में कई तरह की न्यूरोन तरंगे निकलती हैं और इनमें से निकलने वाली अल्फा तरंग ही दिमाग को खुश रहने का संकेत देती हैं. योग और मेडिटेशन के जरिए इन्हीं अल्फा तरंगों को एक्टिव करने की कोशिश की जाती है.  इन तरंगों के एक्टिव होने से हर तरह का स्ट्रेस खत्म होता है और दिमाग रिलैक्सिंग मोड में जाता है.

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कैसे करें NSDR की प्रेक्टिस?

- अपने बेड पर आप अंधेरे या बेहद कम रोशनी में पीठ के बल लेट जाएं.

- शरीर को ढीला छोड़ दें और हाथ और पैर एकदम रिलैक्स कर दें.

- हथेलियों को खोलकर आसमान की तरफ कर दें.

- गहरी सांस भरें और दाहिने पंजे पर ध्यान लगाएं और इसके बाद पंजे से सिर तक आने वाले सभी अंगों पर ध्यान लगाएं.

- इस प्रक्रिया के दौरान सांस को सामान्य रूप से अंदर और बाहर करते रहें.

- दिमाग को शांत करें इस तरह से आपको नींद जल्दी आएगी. 

महाभारत काल में भी हुआ इस्तेमाल-

जानकारों के मुताबिक महाभारत काल में अर्जुन तक अपनी नींद के लिए इसी ध्यान का सहारा लेते थे. स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिक डॉ. एंड्रयू ह्यूबरमैन ने इस तकनीक के बारे में विस्तार से बताया था. विस्तार से उन्होंने बताया है कि मॉडर्न युग में अगर नींद पूरी न हो तो आप इस तकनीक का सहारा ले सकते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि ये आयुर्वेदिक नींद भी हैं. जो शरीर के लिए फायदेमंद भी है. हालांकि जब भी आपको मौका मिले रात को 7 से 8 घंटे की ही नींद लें. ये तकनीक कम समय में नींद पूरी करने की है. तो जब भी इसकी जरूरत हो तभी इसका इस्तेमाल करें. 

 

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