वैज्ञानिकों ने Covid-19 की जांच के लिए स्मार्टफोन से लार के माध्यम से पता लगाने वाली तकनीक विकसित की है जिससे अधिक संसाधनों के बिना 15 मिनट में नतीजा आ सकता है. पत्रिका ‘साइंस एडवांसेस’ में प्रकाशित इस नई प्रणाली में रोगी के नमूने में वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन के साथ एक फ्लोरसेंस माइक्रोस्कोप उपकरण लगाया जाता है. अमेरिका के ट्यूलेन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के बो निंग समेत वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में नोवेल कोरोना वायरस से संक्रमित 12 लोगों की जांच के लिए CRISPR/CAS12A अणुओं का इस्तेमाल किया. इसे स्मार्टफोन से देखा गया. वैज्ञानिकों के अनुसार यह तकनीक भलीभांति स्थापित RT-PCR पद्धति की तरह प्रभावी हो सकती है. वैज्ञानिकों ने अध्ययन में लिखा, ‘हमारा मानना है कि स्मार्टफोन का यह प्लेटफॉर्म Covid-19 की जांच की क्षमता को तेजी से बढ़ाता है.’’
इससे पहले यह जानकारी सामने आई थी कि कोरोना वायरस के खिलाफ बने एंटीबॉडी रोगी के स्वस्थ होने के बाद तेजी से समाप्त हो सकते हैं. एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है. इस अध्ययन में 250 से अधिक कोरोना वायरस संक्रमितों पर उनके संक्रमणमुक्त होने के बाद पांच महीने तक अध्ययन किया गया.
'साइंस इम्युनोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में अस्पतालों में भर्ती 79 Covid-19 रोगियों से और अन्य 175 संक्रमितों से लिये गये रक्त प्लाज्मा के 983 नमूनों का अध्ययन किया गया. अमेरिका में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की कैथरीना रोल्टगन समेत वैज्ञानिकों के अनुसार आईजीजी एंटीबॉडी लंबे समय तक रहने चाहिए थे लेकिन गंभीर रोगियों में भी इनमें धीमी गिरावट देखी गई.
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस को खत्म करने वाले विभिन्न प्रकार के एंटीबॉडी का स्तर लक्षण शुरू होने के लगभग पहले महीने के बाद गिरना शुरू हो गया. ये नतीजे सीरो अध्ययनों की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े करते हैं.
Source : News Nation Bureau