अंगदान के बारे में जागरूकता और ज्ञान की कमी के कारण हमारे देश में अंगों की बर्बादी होती है।
भारत में अंग डोनर्स की कमी के कारण अंगों के लिए इंतजार करते हुए 90 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है।
केंद्र सरकार ने भारत में ऑर्गन डोनेशन की योग्यता की नीतियों में बदलाव करने पर सोच-विचार कर रही है।
अगर, अभी मौजूदा नियम की बात करे तो इस नियम के मुताबिक मरीज का कोई भी निकट संबंधी जैसे परिजन या दोस्त उसे ऑर्गन डोनेट कर सकता है।
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अगर मरीज का कोई भी करीबी संबंधी ऑर्गन डोनेशन के लिए मौजूद नहीं है या करने नहीं चाहता या फिर डोनेट करने के लिए पूरी तरह से फिट नहीं है तो उस वक़्त कानून का सहारा लिया जाता है।
ऐसे में सरकार के नियम और प्रावधान मौजूद है। सरकार 'द ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन ऐक्ट' 1994 के आर्टिकल 2 में बदलाव करना चाहती है।
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पश्चिम बंगाल के अडिश्नल हेल्थ डायरेक्टर अदितिकिशोर सरकार ने कहा, केंद्र सरकार की ओर से यह एक अच्छी पहल है। हम भी अपनी चिंताएं इस संबंध में बताएंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी इस पहल को ऑर्गन डोनेशन के संबंध में गेम चेंजर के तौर पर मान रहे हैं।'
ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन का इंतजार करने वाले मरीज करीब 586 हवाईजहाज़ में भरे जा सकते है इसका मतलब ये है कि करीब पांच लाख लोग ट्रांसप्लांटेशन के इंतजार में है।
भारत में हर साल करीब पांच लाख लोग अंग न मिलने के कारण अपनी जान गवां बैठते है।
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Source : News Nation Bureau