मोटापा दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बनता हुआ उभर रहा है। न सिर्फ वयस्कों में बल्कि बच्चों में भी मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। WHO के मुताबिक दुनियाभर में 42 मिलियन पांच साल के बच्चे मोटापे का शिकार है। बच्चों में मोटापे से उन्हें गंभीर रोग जैसे डायबिटीज और दिल संबंधी बीमारियों के होने का खतर कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। दुनियाभर में हर साल 20 लाख मोटापे से ग्रस्त लोग अपनी जान खो बैठते है।
'पीडियाट्रिक ओबेसिटी' नामक एक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारत में साल 2025 तक मोटापे से पीड़ित बच्चों की संख्या 1.7 करोड़ पहुंच जाएगी। भारत मोटे बच्चों के मामले में दुनिया के 184 देशों की सूची में दूसरे स्थान पर आ जाएगा जो कि काफी चौका देने वाला है।
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बचपन में मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक बच्चा अपनी उम्र और समान ऊंचाई के सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक भारी होता है। भारत में हर साल बचपन में मोटापे के करीब एक करोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं। इन सभी मामलों में पीड़ितों को इलाज मिलना मुश्किल है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल और आइएमए के मानद महासचिव डॉ आरएन टंडन ने एक बयान में कहा, 'बच्चों में मोटापा बढ़ना और इसका दुष्प्रभाव आज चिंता का विषय बनता जा रहा है। बच्चों में मोटापा बढ़ाने के लिए जंक फूड जिम्मेदार है। अनेक स्कूलों की कैंटीन में पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक बेचे जा रहे हैं, बिना इस बात पर ध्यान दिए कि इससे बच्चों की सेहत को कितना नुकसान हो रहा है। आरामतलब जिंदगी भी मोटापा बढ़ने का एक कारण है।'
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हाल ही में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन सात साल की उम्र के बच्चों के बेडरूम में टीवी है उनके वजन में बदलाव देखे गए है। उन बच्चों के 11 साल की उम्र में मोटापे का शिकार होने की संभावना 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
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Source : News Nation Bureau