गर्भावस्था में महिलाओं को आयरन की जरुरत ज्यादा होती है. आयरन की मात्रा ठीक रहने से खून की कमी नहीं होती है. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को दोगुने पोषण की जरूरत होती है. सामान्य अवस्था में शरीर को रोज 10 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है लेकिन जब कोई महिला प्रेगनेंट होती तो उसको रोज 27 मिलीग्राम की जरूरत होती है. गर्भ में पल रहे शिशु लगातर विकास कर रहा होता है जिसके कारण महिला के शरीर में आयरन की जरूरत दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है.
प्रेगनेंसी में आयरन की कमी को दूर करने में अंजीर बहुत सहायक होता है. अंजीर ऐसा ड्राई फ्रूट है जिसमें आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. अजीर खाने से गर्भवती महिलाओं को आयरन की कमी के साथ कई और समस्याओं का भी समाधान हो जाता है. प्रेगनेंसी में जिस तरह से हरी सब्जियां, मोटे अनाज, फल, ड्राई फ्रूट, जूस का सेवन करना चाहिए उसी तरह से अंजीर को भी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए. लेकिन, इसके साथ ही अंजीर को गर्भावस्ता में कैसे खाना है उसका भी खास ख्याल रखना चाहिए.
प्रेगनेंसी में अंजीर महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास का भी पूरा ख्याल रखता है. इसमें कैल्शियम, आयरन, शुगर, फैट और खनिज पदार्थ होता है. हालांकि अंजीर में शुगर की मात्रा भी अधिक होती है जिसके कारण गर्भावस्था में इसकी खाने की मात्रा को लेकर खास ख्याल रखना चाहिए. अधिक अंजीर खाने गर्भवती का शुगर लेवल बढ़ सकता है इसलिए दिन में 2-3 अंजीर से ज्यादा नहीं खाना चाहिए. अंजीर को रात में पानी में भिगाकर सुबह इसका शेक बनाकर भी पी सकते हैं.
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प्रेगनेंसी में अंजीर खाने के फायदे की बात करें तो गर्भवती महिलाओं के बीपी यानी ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखता है. अंजीर से महिलाओं को गर्भावस्था में होने वाली हीमोग्लोबीन की समस्या भी नहीं होती है. बता दें कि गर्भवती को एनीमिया होने के कारण भ्रूण को ऑक्सीजन की कमी होने का डर रहता है लेकिन अंजीर खाने आयरन की कमी नहीं होती है. अंजीर फाइबर से भी भरपूर होता है जिससे गर्भवती को कब्ज की समस्या नहीं होती है और पाचन शक्ति भी ठीक रहती है.
गर्भावस्था में अंजीर के सेवन से शिशु का विकास अच्छी तरह से होता है. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे की हड्डियों और दांतों का विकास ठीक तरह होता है. यहां तक कि अंजीर से भ्रूण के मस्तिष्क का भी पूरा विकास होता है. अंजीर गर्भवती महिलाओं के शरीर में एसिड की मात्रा को भी कंट्रोल करता है. साथ ही वह मॉर्निंग सिकनेस यानी की सुबह के समय होने वाली उल्टी को भी कम करता है.