कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन में गर्भवती महिलाएं डॉक्टरों के पास इलाज के लिए नहीं जा रही हैं. डॉक्टरों ने भी कोरोना वायरस संक्रमण के डर से ओपीडी बंद कर रखी है. टेलिमेडिसीन हेल्प डेस्क शासन ने शुरू की है. इस टेलिमेडिसीन सेंटर में आरबीएसके और बीडीएस के डॉक्टरों को बैठाया गया है. हालांकि, यहां डॉक्टर सिर्फ सर्दी-खांसी की सलाह देते हैं. इस केंद्र में लोगों की कॉल मदद के लिए आ रही है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के इटारसी में तीन महीने का बच्चा होने के बावजूद एक महिला के गर्भवती होने का केस सामने आया है. हालांकि, अब महिला बच्चा नहीं चाहती, लेकिन कोई डॉक्टर उसे देखने को तैयार नहीं हुआ. इसके बाद गर्भवती ने वेबसाइट पर सर्च कर दवा तो खा ली, लेकिन उसका कोई असर गर्भवस्था पर नहीं पड़ा.
गर्भवती महिला अब खुद को डॉक्टरों को दिखाने के लिए काफी परेशान है. उसके पास किसी गायनी डॉक्टर का नंबर भी नहीं था. इस पर किसी संस्था ने महिला की मदद की और उसे डॉक्टर के पास ले गया. बताया जा रहा है कि लॉकडाउन में गरीब और आदिवासी क्षेत्र में महिलाओं को सैनेटरी पैड तक नहीं मिल पा रहा है.
कॉल सेंटर पर इस तरह के पूछे जा रहे सवाल
टेलिमेडिसीन सेंटर में चिकित्सा मदद के अलावा भी कई तरह के फोन आ रहे हैं. लोग फोन कर पूछते हैं कि उनको खाना, दवा सहित अन्य मामलों में मदद कहां से मिलेगी. इस सेंटर में कई फोन ऐसे आते हैं, जो कहते हैं कि वह किडनी, कैंसर या अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. उनकी दवाएं सिर्फ नागपुर, भोपाल में ही मिलती हैं. इस लॉकडाउन के दौरान वह दवाएं कैसे ला सकते हैं. यहां लोग राशन और खाने के लिए भी कॉल करते हैं.
Source : News Nation Bureau