प्रेग्नेंट महिलाएं को उनके शुरुआती दिनों में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्हें उल्टी, बुखार, चक्कर जैसी कई सारी परेशानियां फेस करनी पड़ती है. कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को व्रत भी रखना पड़ता है. इससे उनकी परेशानी और बढ़ जाती है, आज हम आपसे प्रेग्नेंट महिलाओं के व्रत को लेकर ही बात करेंगे कि उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान व्रत रखना चाहिए या नहीं, और अगर व्रत रखती भी हैं तो इस दौरान उन्हें क्या खाना चाहिए. अधिक वजन, कम वजन, कम एचबी स्तर, खराब पोषण स्थिति, भ्रूण विकास इन सब चीजों को देखते हुए महिलाओं को व्रत रखना चाहिए.
पहली तिमाही (First trimester) में अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता +300kcal प्रति दिन है. पहली तिमाही के दौरान होने वाली परेशानी सभी गर्भवती महिलाओं के लिए समान नहीं होती है. व्रत के दौरान मां को जो अच्छा लगता है, जो आराम से अनुमति दी जाती है, उसे खाना बेहतर है. बार-बार छोटे-छोटे मिल्स करने पर जोर देना चाहिए. एक अच्छा विचार ये है कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों जैसे अनाज खाना चाहिए और अन्य विकल्पों को देखते हुए व्रत रखना चाहिए.
दूसरी तिमाही में क्या करना चाहिए
वहीं दूसरी तिमाही यानी सेकंड ट्रमिस्टर में फीटस (Foetus)में बढ़ोतरी के कारण भूख में वृद्धि और भूख के पैटर्न में बदलाव होगा. बढ़ते हुए फीटस की जरूरतों को पूरा करने के लिए शरीर अधिक पोषण की मांग करता है. ऐसे में पहला उद्देश्य शरीर को सुनना, संकेतों का पालन करना और उसकी मांगों को पूरा करना है. बता दें जब शरीर में पोषण की कमी हो जाती है तो ऐसे में व्रत करने से शरीर को पोषक तत्व शरीर में मां के न्यूट्रीशनल स्टोर से प्राप्त होते हैं. शरीर की मांगों को ध्यान में रखते हुए ही व्रत रखा जाना चाहिए.
थर्ड ट्रमिस्टर में अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता +450kcal है. फीटस आकार में बढ़ता रहता है और मस्तिष्क, फेफड़े, गुर्दे आदि जैसे अंगों का विकास करता है. माँ को गर्भकालीन मधुमेह के रूप में देखा जाता है और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव मुख्य रूप से तीसरी तिमाही में विकसित होता है. यदि ऐसी कोई समस्या मौजूद नहीं है, तो प्रतिदिन खाने को समाप्त करके या अनाज जैसे खाद्य समूह को डॉक्टर से पूछकर अन्य विकल्पों के साथ बदलकर व्रत रखा जा सकता है.
Source : News Nation Bureau