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कोरोना के हर वेरिएंट को 1 घंटे में ही डिटेक्ट कर लेगी CoVarScan किट

कोविड-19 टेस्टिंग के नए तरीके के ईजाद से पहले अब तक कोविड-19 का पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट में करीब 24 घंटे का समय लगता है. वहीं अलग-अलग वेरिएंट का पता लगाने में तो कई दिन लग जाते हैं. अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास...

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Shravan Shukla
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कोरोना टेस्ट किट

कोरोना टेस्ट किट( Photo Credit : File/News Nation)

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दुनिया के कई देशों समेत भारत में भी कोरोना वायरस संक्रमण की संख्या एक बार फिर बढ़ रही है. इसके साथ ही कई देशों में कोरोनावायरस के वेरिएंट ओमीक्रॉन समेत नए वेरिएंट और उसके सब-वेरिएंट भी सामने आने लगे हैं. इस दौरान अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक कोविड-19 के रैपिड टेस्ट के लिए नई तकनीक को तैयार किया है. दावा किया गया है कि इस तकनीक से टेस्ट के जरिए महज एक घंटे में मौजूदा सार्स कोव-2 (SARS-CoV-2) वायरस के सभी वेरिएंट का पता लगाया जा सकता है. इस टेस्ट को कोवार स्कैन (CoVarScan) का नाम दिया गया है. 

अमेरिका में हुई रिसर्च में तकनीकी पाई गई कारगर

कोविड-19 टेस्टिंग के नए तरीके के ईजाद से पहले अब तक कोविड-19 का पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट में करीब 24 घंटे का समय लगता है. वहीं अलग-अलग वेरिएंट का पता लगाने में तो कई दिन लग जाते हैं. अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर के विशेषज्ञों ने 4,000 से अधिक रोगियों से इकट्ठा सैंपल्स पर कोवार स्कैन (CoVarScan) का टेस्ट किया है. ये टेस्ट आने वाले वक्त में कोविड 19 टेस्ट की पूरी परिभाषा बदल सकता है. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने 4000 से अधिक मरीजों से लिए सैंपल्स का परीक्षण करने के बाद निष्कर्ष प्रकाशित किया है. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोवार स्कैन (CoVarScan) से एक घंटे में कोरोना वायरस के सभी मौजूदा वेरिएंट्स का सटीक पता लगाया जा सकता है. साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जेफरी सोरेले ने बताया कि टेस्टिंग के इस तरीके इस्तेमाल करके हम बहुत जल्दी यह निर्धारित कर सकते हैं कि कोविड-19 का कौन सा वेरिएंट लोगों को संक्रमित कर रहा है.

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नए वेरिएंट की भी कर लेगा पहचान

सोरेले ने बताया कि कोरोनावायरस का अगर कोई नया वेरिएंट सामने आया है तो यह टेस्ट इसे भी बता देगा. जब हम इलाज के लिए अलग-अलग प्रतिक्रिया देने वाले वेरिएंट के साथ काम कर रहे हैं, तो इसका प्रभाव मरीजों पर भी वैसा ही पड़ता है. क्लिनिकल केमिस्ट्री जर्नल में हाल ही में प्रकाशित रिसर्च से पता चलता है कि टेस्ट उतना ही सटीक है जितना कि कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य तरीके हैं. ये (SARS-CoV-2) सार्स कोव-2 के सभी मौजूदा वेरिएंट्स के बीच सफलतापूर्वक अंतर कर सकता है.

अभी कोरोना वायरस की टेस्टिंग में लगता है समय

कोरोना वायरस की टेस्टिंग (Coronavirus Testing) के जितने भी मौजूदा तरीके हैं, उनमें काफी समय लगता है. कोविड-19 का पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट में करीब 24 घंटे का समय लगता है. आमतौर पर या तो SARS-CoV-2 के जेनेटिक मटैरियल या वायरस की सतह पर पाए जाने वाले छोटे अणुओं का पता लगाते हैं. वहीं अलग-अलग वेरिएंट का पता लगाने में तो कई दिन लग जाते हैं. वेरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की मदद लेना पड़ती है. कई रिसर्चर्स का ये मानना है कि ये टेस्ट कुछ वेरिएंट्स का पता लगाने के लिए पुख्ता नहीं हैं. कुछ भविष्य में सामने आने वाले वेरिएंट का पता भी नहीं लगा पाते हैं. 

HIGHLIGHTS

  • कोरोना की पहचान के लिए नई तकनीक
  • SARS-CoV-2 से जुड़ी हर चीज की पहचान करेगी CoVarScan
  • वैज्ञानिकों को जांच रिपोर्ट पर भरोसा
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