डेल्टा वैरिएंट के समान लक्षण वाला एक सार्स-सीओवी-2 वैरिएंट कहीं ज्यादा गंभीर महामारी का कारण बन सकता है. इसमें अकेले लक्षण वाले वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रमण और पुर्नसंक्रमण हो सकता है. सार्स-सीओवी-2 का डेल्टा (बी.1.617.2) स्वरूप अत्यंत संक्रामक है और दुनियाभर में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के पीछे मुख्य कारण है और यहां तक कि बड़ी संख्या में टीका लगवा चुकी आबादी पर भी इसके प्रभाव दिखाई दिये हैं. इसके उप-प्रकार एवाई 104 की संक्रमण क्षमता का अभी पता नहीं चला है. इसके नमूनों को आगे विश्लेषण के लिए हांगकांग की प्रयोगशालाओं में भेजा गया है. यह जानकारी एक नए अध्ययन से सामने आई है.
जर्नल सेल में प्रकाशित अध्ययन ने संकेत दिया है कि केवल बढ़ी हुई ट्रांसमिसिबिलिटी वाला एक वैरिएंट एक ऐसे वैरिएंट की तुलना में ज्यादा खतरनाक होगा जो आंशिक रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली से बच सकता है. फिर भी दोनों लक्षणों वाला एक वैरिएंट अकेले किसी भी विशेषता वाले वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रमण दोबारा संक्रमण होने का कारण बन सकता है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मैरी बुशमैन ने कहा अब तक प्रतिरक्षा से बचने के सबूत प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने और दोबारा संक्रमण का कारण बनने की क्षमता रखता है.
बुशमैन ने कहा, हमारे निष्कर्ष कहते हैं कि यह शायद अपने आप में इतना बड़ा सौदा नहीं है, लेकिन जब इसे बढ़ी हुई ट्रांसमिसिबिलिटी के साथ जोड़ा जाता है, तो यह वास्तव में एक बड़ी बात हो सकती है. डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों में बढ़ी हुई संप्रेषण क्षमता और उन लोगों को संक्रमित करने की क्षमता शामिल है जिनके पास पिछले संक्रमण/टीकाकरण था. विश्लेषण ने यह भी बताया कि कैसे मास्किंग समेत शारीरिक दूरी या टीकाकरण, महामारी के प्रक्षेपवक्र को प्रभावित करेंगे. सभी परिदृश्य के लिए टीम ने संक्रमणों की कुल संख्या के साथ-साथ टीकाकरण द्वारा टाले गए संक्रमणों की संख्या/प्रतिशत का विश्लेषण किया.
HIGHLIGHTS
- श्रीलंका में मिला है कोरोना वायरस का नया वेरिएंट
- यह कोविड संक्रमण को दोबारा फैलाने में सक्षम