Sexually Transmitted Diseases: सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ (STDs) वो रोग होते हैं जो सेक्सुअल संबंध के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं. ये रोग वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट या प्रोटोजोए के कारण होते हैं. उनमें गोनोरिया, सिफिलिस, क्लैमिडिया, हर्पीस, हिव/एड्स, हेपेटाइटिस बी, और हर्पीस जैसे बाकी बीमारियाँ शामिल हैं. इन रोगों के लक्षण विभिन्न होते हैं, जैसे उपजाऊ मसुड़ें, चोटिलता, या पेशाब में दर्द. संक्रमण को रोकने के लिए संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है, जैसे कि संबंधों में सुरक्षा, नियमित जाँच, और कंडोम का प्रयोग. जरूरत पड़ने पर चिकित्सा परामर्श लेना उचित है. सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ चिकित्सकों और स्वास्थ्य विभाग के लिए पिछले कुछ वर्षों से चिंता का विषय बन गया है, भारत में लगभग 6 फीसदी व्यस्क भारतीयों को इस बीमारी ने प्रभावित किया है. अगर आंकड़ो की बात करें तो WHO (World Healh Orgnisation) के मुताबिक विश्वभर में प्रत्येक दिन 10 लाख एडटीडी के नए केस मिलते है, इनमे ज्यादातर मामलों में लक्षण दिखाई भी नहीं देते. प्रत्येक वर्ष करीब 37 करोड़ 40 लाख नए एसटीडी मामले का पता चलता है, इनमे 4 में से एक इलाज योग्य होता है.
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ (STDs) कई तरह के होते हैं
1. गोनोरिया (Gonorrhea)
2. सिफिलिस (Syphilis)
3. क्लैमिडिया (Chlamydia)
4. हर्पीस (Herpes)
5. इन्फेक्टेड इकोल्ड (Infected Eczoid)
6. इंफेक्शनल लिंफोग्रेडल (Infectional Lymphogredal)
7. हमनिगाइटिस बी (Hepatitis B)
8. एचआईवी (HIV)
9. अंडरटाइड (Androtide)
10. एलर्जी(Allergy)
11. बैलेनाइटिस(Balanitis)
12. स्क्रोटल सोर (Scrotal Sore)
13. यूरेथ्रिटिस (Urethritis)
14. वैजिनाइटिस (Vaginitis)
15. थुअलाइटिस (Thualitis)
16. इंफेक्टेड एक्जिमा (Infected Exzima)
17. सीटीडीस (CTDS)
18. एंडोमिट्राइटिस (Endometritis)
कुछ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ (STDs) और उनके कारण
बैक्टीरियल इन्फेक्शन: जैसे कि गोनोरिया और क्लैमिडिया.
वायरल इन्फेक्शन: जैसे कि हर्पीस, हमनिगाइटिस बी, और एचआईवी.
पारजीविक इन्फेक्शन: जैसे कि क्रिप्टोस्पोरिडियम इन्फेक्शन और पब्लिक लाइस.
आंतरिक इंफेक्शन: योनि और पुरुष जननांगों के क्षेत्र में त्वचा के अन्य इंफेक्शन.
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ (STDs) के लक्षण
जलन या प्रदाह: पेशाब करते समय या संबंध बनाते समय जलन या प्रदाह का अनुभव.
लालपन या चोटिलता: योनि, पुरुष जननांगों, या गुदा क्षेत्र में लालपन या चोटिलता.
एक्जिमा या दाने: इंगुनल, योनि, या गुदा क्षेत्र में एक्जिमा या छाले.
गांठें या सूजन: योनि, पुरुष जननांगों, या गुदा क्षेत्र में गांठें या सूजन का अनुभव.
वायरल लक्षण: जैसे कि बुखार, थकान, या गले में खराश.
निरंतर या अशोधित पेशाब: अक्सर पेशाब के इर्द-गिर्द समय से समय पर या निरंतर पेशाब की इच्छा.
गुदा या योनि से गंध: गुदा या योनि से गंध का अनुभव, जो असाधारण हो सकता है.
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ (STDs) के उपचार
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ (STDs) के इलाज का तरीका डिज़ीज़ के प्रकार और उसके संवेदनशीलता पर निर्भर करता है. कुछ STDs जैसे कि बैक्टीरियल इन्फेक्शन (जैसे कि गोनोरिया और क्लैमिडिया) को अच्छी तरह से एंटिबायोटिक दवाओं से इलाज किया जा सकता है. वायरल STDs (जैसे कि हर्पीस, हमनिगाइटिस बी, और एचआईवी) का उपचार आमतौर पर उसके लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए होता है, हालांकि कुछ मामलों में एंटीवायरल दवाएं भी प्रयोग की जा सकती हैं.बाहरी इलाज के अलावा, सही व्यवहार और स्वस्थ जीवनशैली का पालन भी महत्वपूर्ण है. इसमें संपर्क से सुरक्षितता, नियमित जाँच, और अनुपयोगी सेक्स से बचाव शामिल हैं.
यदि आपको लगता है कि आपको एसटीडी हो सकता है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें ताकि उचित परीक्षण और उपचार की योजना बनाई जा सके. इस तरह का संक्रमण अगर अनदेखा रहा तो गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
Source : News Nation Bureau