देश में कोरोना की दूसरी लहर बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है. देश में अब हर रोज एक लाख से ज्यादा कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं. दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों की हालत काफी खराब हो चुकी है. यहां अस्पतालों में बेड्स की कमी हो गई है. महाराष्ट्र-दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के बाकी राज्यों में भी बड़ी संख्या में नए कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ चुके हैं. भारत सरकार ने देश में कोरोना वायरस टीकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विदेश निर्मित वैक्सीन को आपात इस्तेमाल मंजूरी देने की प्रक्रिया तेज कर दी है.
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हाल ही में देश में रूसी टीके 'स्पूतनिक वी' को मंजूरी दी गई. इसके अलावा भी दूसरे टीकों के आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने की प्रक्रिया जारी है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में अमेरिका की कंपनी मॉडर्ना, फाइजर-बायोएनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन, नोवावैक्स की वैक्सीन को भी मंजूरी मिल सकती है. वैक्सीन वैक्सीन मामले की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी को मंजूरी दे दी है. अब केवल अंतिम निर्णय का इंतजार है, जिसके बाद इसका इमरजेंसी इस्तेमाल हो सकेगा. ये पहली वैक्सीन होगी, जो विदेशी रहेगी.
कितनी होगी वैक्सीन की कीमत
अमेरिकी वैक्सीन- अमेरिका की कंपनी मॉडर्ना ने एमआरएनए तकनीक पर अपने टीके का निर्माण किया है, जिसका प्रभाव 94.1 फीसदी है. इसकी दो खुराक 28 दिन के अंतराल पर दी जाती है. मॉडर्ना के टीके को 30 दिन तक 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है. इसे शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार टीके की एक खुराक की कीमत 15 डॉलर से 33 डॉलर (1125 रुपये - 2475 रुपये) तक हो सकती है.
नोवावैक्स- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया अब नोवावैक्स वैक्सीन का मानव परीक्षण करने जा रही है. नोवावैक्स की वैक्सीन ब्रिटेन में मानव परीक्षण के दौरान 89.3 फीसदी सुरक्षित पाई गई है. जिसके बाद घरेलू स्तर पर मानव परीक्षण करने के लिए स्थानीय अधिकारियों को आवेदन दिया गया है. इसकी कीमत भारत में तीन डॉलर (225 रुपये) हो सकती है.
जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन- जॉनसन एंड जॉनसन के टीके की सिर्फ एक खुराक ही दी जाती है. कंपनी के अनुसार इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में तीन महीने तक रखा जा सकता है और शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर इसे दो साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इस टीके का प्रभाव दुनियाभर में 66 फीसदी और अमेरिका में 72 फीसदी तक पाया गया है. इस एक डोज वाली वैक्सीन की कीमत 8.5 डॉलर से 10 डॉलर भारतीय करेंसी के अनुसार 637 रुपये से 750 रुपये तक हो सकती है.
वैक्सीन से जुड़े नियमों में बदलाव हुआ
WHO या चुनिंदा देशों के रेगुलेटर्स से अप्रूवल पाए टीकों का भारत में आपातकालीन इस्तेमाल हो सकेगा. वहीं भारत सरकार ने वैक्सीन के इस्तेमाल से जुड़े नियमों में बदलाव किया है. किसी भी विदेशी टीके के पहले 100 लाभार्थियों पर सात दिन तक नजर रखी जाएगी. इसी के बाद टीके को बाकी आबादी पर इस्तेमाल करने की मंजूरी मिलेगी. अप्रूवल के बाद भी भारतीय आबादी पर वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल चलेगा. टीकों की कीमत और सप्लाई को लेकर केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से बात करेगी.
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कब तक आ जाएंगी विदेशी वैक्सीन
फिलहाल तो विदेशी वैक्सीन निर्माताओं को अप्रूवल्स के बारे में फैसला हुआ है. केंद्र ने इन टीकों के बाजार में उतारने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन ऐंड जॉनसन समेत कई विदेशी कंपनियों ने पहले से ही करोड़ों डोज की बुकिंग ले रखी है. ऐसे में अगर यहां कंपनियां आना भी चाहें तो उन्हें समय लगेगा. फाइजर हर साल ढाई बिलियन डोज तैयार कर सकती है. उसकी 1.6 बिलियन डोज खरीदी जा चुकी हैं. ऐसे में भारत बाकी बचीं 90 करोड़ डोज में से खरीदारी कर सकता है. मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन ने अपनी क्षमता से ज्यादा का ऑर्डर ले रखा है.
HIGHLIGHTS
- रूसी वैक्सीन के अलावा अन्य विदेशी वैक्सीन भी भारत आएंगी
- सभी विदेशी वैक्सीन की कीमतें अलग-अलग हो सकती हैं