पिछले कई सालों से भारत में सेनिटेशन अभियान चलाया जा रहा है. इसके बावजूद अभी भी देश में स्वच्छता मिशन अभी भी पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है. अभी भी देश की लगभग 5 करोड़ आबादी के पास ठीक से हाथ धोने की व्यवस्था नहीं है. इस वजह से देश की आबादी का ये हिस्सा अभी भी कोरोनावायरस (Corona Virus) का बड़ा वाहक बना हुआ है. आपको बता दें कि 5 करोड़ की संख्या बहुत अधिक होती है अगर सरकार ने इन लोगों की व्यवस्था ठीक नहीं की तो तो शायद देश में कोरोना फैलने की रफ्तार और भी तेज हो सकती है. हालांकि सरकार ने लॉकडाउन (Lock Down) कर काफी हद तक कोविड -19 (COVID-19) के संक्रमण को नियंत्रित किया.
अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स ऐंड इवेल्यूएशन (आईएचएमई) के शोधकर्ताओं ने कहा कि निचले एवं मध्यम आय वाले देशों के दो अरब से अधिक लोगों में साबुन और साफ पानी की उपलब्धता नहीं है, जिसकी वजह से अमीर देशों के लोगों की तुलना में संक्रमण फैलने का खतरा यहां पर ज्यादा है. आपको बता दें कि यह आबादी दुनिया की आबादी का एक चौथाई हिस्सा है.
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जनरल एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्ज में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक उप सहारा अफ्रीका और ओसियाना के 50 प्रतिशत आबादी से भी ज्यादा लोगों के पास हाथ धोने के लिए बेहतर सुविधा नहीं उपब्ध है. IHME के प्रोफेसर माइकल ब्राउऐर ने ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के महत्वपूर्ण उपायों में हाथ धोना एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपाय है. लेकिन यहां यह बहुत ही निराशाजनक बात है कि कई देशों में यह उपलब्ध नहीं है. उन देशों में स्वास्थ्य देखभाल सुविधा भी सीमित है.
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आपको बता दें कि इस शोध में यह भी पता चला कि 46 देशों में आधे से अधिक आबादी के पास हाथ धोने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है ऐसे देशों में साबुन और साफ पानी की उपलब्धता नहीं है. इस शोध के मुताबिक, इस लिस्ट में भारत भी शामिल है इसके अलावा इस लिस्ट में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नाइजीरिया, इथियोपिया, कांगो और इंडोनेशिया में से प्रत्येक में पांच करोड़ से अधिक लोगों के पास भी हाथ धोने की सुविधा नहीं है.