मानसून सीजन (Monsoon Season) में कई लोगों को सांस लेने में दिक्कतें पेश आती हैं. सर्दी-खांसी, निमोनिया, एलर्जी, अस्थमा आदि मरीजों को खास तौर से परेशानी होती है. इसी तरह ब्रोंकाइटिस बीमारी (Bronchitis Disease) भी होती है, जिस पर समय रहते ध्यान न देने पर घातक परिणाम सामने आते हैं. ब्रोंकाइटिस में श्वास नली में सूजन आ जाती है, जिससे मरीज को बहुत खांसी आती है. साथ ही बहुत तेज बलगम बनने लगता है. अत्यधिक बलगम बनने और श्वास नली में रुकावट होने से फेफड़ों में इंफेक्शन होने लगता है और मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है.
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ब्रोंकाइटिस दो प्रकार के होते हैं– एक्यूट ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस. एक्यूट ब्रोंकाइटिस में मामूली सर्दी-बुखार होता है. इसमें सीने में तकलीफ और सांस लेने में परेशानी होती है. हल्का बुखार भी आता है. इस तरह की शिकायत बच्चों को ज्यादा होती है. वहीं क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस में खांसी और कफ अधिक होता है और यह ज्यादा समय तक परेशान करता है. डॉक्टरों की मानें तो क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस अधिक धूम्रपान करने से होता है.
खानपान पर ध्यान देकर ब्रोंकाइटिस से बचाव किया जा सकता है. इस मानसूनी मौसम में अदरक, लहसुन, शहद, निलगिरी का तेल, सेंधा नमक और हल्दी का सेवन करने से इस बीमारी से दूरी बनी रहती है. साथ ही खाने में ज्यादा से ज्यादा साबुत अनाज और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट (अखरोट, बादाम, ट्यूना और साल्मन मछली) वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए. ड्रायफ्रूट्स का अधिक सेवन करें, जिसमें बादाम, अखरोट ज्यादा लें. काढ़ा, हर्बल चाय और वेजीटेबल सूप लेते रहें. एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें लेते रहना चाहिए. तेल और वसायुक्त खाने से बचना चाहिए.
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आपकी थोड़ी सी सावधानी ब्रोंकाइटिस से दूर रख सकती है. अगर सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द अधिक समय तक रहे तो डॉक्टर से जरूर दिखाएं. खांसते समय खून निकले या जरूरत से ज्यादा कफ आए और सांस लेने में तकलीफ हो तो यह क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के लक्षण हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें.
Source : News Nation Bureau