Advertisment

हाइपर एसिडिटी में राहत के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपचार

खाली पेट ज्यादा देर तक रहने से या अधिक तला भुना खाना खाने के बाद खट्टी डकार व पेट में गैस आदि बनने लगती है. एसिडिटी होने पर पेट में जलन, खट्टी डकारें आना, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द, गैस की शिकायत, जी मिचलाना आदि लक्षण महसूस होते हैं.

author-image
Karm Raj Mishra
New Update
Acidity

Acidity( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

आज की लाइफस्टाइल में हाइपर एसिडिटी (Hyperacidity) यानि अम्लपित्त की समस्या बहुत आम समस्या है. खाली पेट ज्यादा देर तक रहने से या अधिक तला भुना खाना खाने के बाद खट्टी डकार व पेट में गैस आदि बनने लगती है. एसिडिटी होने पर पेट में जलन, खट्टी डकारें आना, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द, गैस की शिकायत, जी मिचलाना आदि लक्षण महसूस होते हैं. ये काफी आम बीमारी है, जिससे हर व्यक्ति को कभी न कभी सामना करना पड़ता है. लेकिन कभी-कभी इस बीमारी की वजह से कई गंभीर बीमारियां व्यक्ति को घेर लेती हैं. देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोये रहना, बीड़ी−सिगरेट, तम्बाकू, चाय−कॉफी तथा फास्टफूड का बेहिसाब सेवन आधुनिक जीवन शैली के अंग हैं, जिस कारण हम कई रोगों के शिकार हो जाते हैं. आज के दौर में लगभग 70 प्रतिशत लोग इसी रोग से पीड़ित हैं.

क्यों होती है हाइपर एसिडिटी

पेट में 'हाइड्रोक्लोरिक एसिड' (hydrochloric acid) नामक अम्ल होता है जो भोजन को टुकड़ों में तोड़ता है. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जब इसोफेगस की परत से होकर गुजरता है तो सीने या पेट मे जलन महसूस होने लग जाती है, क्योंकि ये परत हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के लिए नहीं बनी है. बार-बार होने वाली एसिडिटी की समस्या को गर्ड (एसिड भाटा रोग या GERD) कहा जाता है. हमारे अनियमित खान पान के कारण एसिडिटी हो सकती है.

ये भी पढ़ें- Home Remedies: कब्ज से हैं परेशान, तो अपनाएं ये घरेलू उपचार

अधिक तले हुऐ खाद्य पदार्थ भी एसिडिटी का कारण बन सकते हैं. वसा भोजन को आंतों तक जाने की गति को धीमा कर देती है. इससे पेट में अम्ल बनने लगता है और एसिडिटी हो जाती है. गर्भवती महिलाओं में ये समस्या अधिक देखने को मिलती है. गर्भावस्था में भी एसिड रिफ्लक्स हो जाता है और अधिक खाने की वजह से भी एसिडिटी हो सकती है.

हाइपर एसिडिटी के लक्षण

  1. खट्टी डकारें आना
  2. पेट और गले में जलन होना
  3. खाना खाने की इच्छा नहीं होना
  4. खाना खाने के बाद उल्टी या मिचली आना
  5. कभी कब्जियत होना, कभी दस्त होना
  6. निगलने में कठिनाई या दर्द.
  7. छाती या ऊपरी पेट में दर्द.
  8. ब्लैक स्टूल (काली पॉटी) या स्टूल में खून आना.
  9. लगातार हिचकी आना.
  10. बिना किसी कारण के वजन घटना.

उपचार 

ये भी पढ़ें- कई भयानक बीमारियों का इकलौता इलाज है गिलोय, जानें क्या हैं इसके फायदे

आयुर्वेद के अनुसार, अपनी जीवनशैली को नियमित करके इस रोग से बचा जा सकता है. आहार निद्रा तथा ब्रह्मचर्य किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के आधार होते हैं. जहां तक आहार का संबंध है हमें पौष्टिक, सादा तथा आसानी से पचने वाला भोजन ही ठीक समय तथा ठीक प्रकार से करना चाहिए. विपरीत प्रकृति वाले खाद्य पदार्थों जैसे दूध तथा मछली का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए. ठीक समय पर गहरी नींद सोना भी जरूरी होने के साथ−साथ संयम तथा शुद्ध आचार−विचार का पालन भी करना चाहिए. आयुर्वेद के इन तीनों आधारों को दैनिक जीवन में शामिल कर हम केवल हाइपर एसिडिटी ही नहीं अनेक दूसरे रोगों से भी बच सकते हैं.

जहां तक अच्छी दिनचर्या का प्रश्न है उसके लिए जहां तक संभव हो सूर्योदय से लगभग आधा घंटा पहले उठे. हल्का व्यायाम तथा योगासन भी जरूरी है. दिन भर के कार्यों को प्रसन्नतापूर्वक करना जरूरी है, क्रोध न करें. खाने की आदतों में परिवर्तन करना भी बहुत जरूरी है. भोजन में गारिष्ठ, खटाई युक्त, तले हुए मिर्च−मसालेदार खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करें. लाल मिर्च के सेवन से भी बचना चाहिए. बहुत खट्टे तथा बासी खाद्य−पदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए.

आयुर्वेदिक दवाएं

  1. अविपत्तिकर चूर्ण
  2. सुतशेखर रस
  3. कामदुधा रस
  4. मौक्तिक कामदुधा
  5. अमलपित्तान्तक रस
  6. अग्नितुण्डि वटी

आयुर्वेद में इस बीमारी के लिए कई तरह की दवाइयां हैं. हालांकि इन दवाइयों का इस्तेमाल बिना किसी चिकित्सक के परामर्श के बिल्कुल नहीं करना चाहिए.

HIGHLIGHTS

  • लगभग 70 प्रतिशत लोग एसिडिटी से पीड़ित हैं
  • आधुनिक जीवन शैली से हो जाती है एसिडिटी
  • खलत खानपान का के कारण होत जाती है ये बीमारी
home remedies Acidity Acidity Problem Acidity Relief home remedies for acidity Home Remedies for Hyper Acidity Hyper Acidity
Advertisment
Advertisment