थायराइड की समस्या आजकल कॉमन होती जा रही है. खासकर प्रेगनेंसी में कई गर्भवती महिलाओं को थायराइड की प्रॉब्लम हो जाती है. थायराइड एक गले में तितली के शेप की एक ग्रंथि होती है. यह ग्रंथि शरीर में पाचन क्रिया में सहायक होता है. गर्भावस्था में थाइराइड की समस्या को लेकर बेहद सजग रहने की जरूरत होती है. यह गर्भवती और गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर भी खराब असर डालता है. यह लाइफस्टाइल से जुडी समस्या होती है इसलिए अगर जीवनशैली से जुड़ी कुछ चीजों का ध्यान रखें तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है.
थायराइड के प्रकार
थायराइड दो तरह की होती है एक हाइपरथायराइड और दूसरा हाइपोथायराइड. गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में यह हार्मोन ज्यादा बनने लगता है जिससे थॉयराइड की समस्या हो सकती. थॉयराइड को गर्भावस्था के दौरान कंट्रोल न करने यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. वहीं रिपोर्ट्स की मानें तो प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में 50% तक थायराइड हार्मोन बढ़ जात है. इसलिए गर्भावस्था के दौरान नियमित तौर पर इसका चेकअप कराते रहना चाहिए, ताकि इसे पूरी तरह कंट्रोल किया जा सके.
क्यों बढ़ता है थायराइड
गर्भावस्था के दौरान अलग-अलग कारणों से थायराइड बढ़ने लगता है. इस समय शरार में एचसीजी हार्मोन का लेवल बढ़ने लगता है जिसके कारण उल्टी की शिकायत बनी रहती है. इसके कारण गर्भवती के शरीर में थाराइड हार्मोन काफी मात्रा में बनने लगता है. वहीं, कुछ महिलाओं को ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की समस्या होती. जिसके कारण इम्यून सिस्टम थायाइड ग्रंथि पर हमला करने लगता है और शरीर में थायराइड हार्मोन का लेवल बढ़ने लगता है. वहीं, गर्भवता अगर अपने रोज के खाने में अधिक आयोडीन लेती है तो भी शरीर में थायराइड बढ़ने लगता है.
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थायराइड के लक्षण
प्रेगनेंसी के दौरान भी महिलाओं को दो तरह के थायराइड की समस्या हो सकती है. पहला हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म. इन दोनों के लक्षणों की बात करें तो ऐसे कई चीजें हैं जिन्हें देखकर ये अंदाजा लगाया सकता है कि गर्भवती के शरीर में थायराइड की समस्या हो रही है. हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) के लक्षणों की बात करें तो इसमें शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है. शरीर जल्दी थक जाता है. बाल भी झड़ने गलते हैं. साथ ही, तेज गर्मी और दिल की धड़कन बढ़ने लग जाती है.
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों की बात करें तो चेहरे में सूजन नजर आने लगती है. स्किन सूखी और ड्राई रहने लगती है. गर्भवती को थकान के साथ गर्मी और ठंड दोनों ही सहन नहीं होती है. साथ ही पूरे शरीर में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होने लगती है. गर्भावस्था में हाइपोथायरायडिज्म होने से याददाश्त भी कमजोर होने लगती है.
थायराइड कंट्रोल करने के उपाय
गर्भावस्था के दौरान थायराइड को कंट्रोल करने के कई उपाय हैं जिसे अपनाकर आप आसानी इससे छुटकारा पा सकते हैं. संतुलित भोजन इसे कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है. इसके लिए गर्भवती को डॉक्टर के हिसाब से अपनी डाइट चार्ट को बनवाना चाहिए और उसी के हिसाब से खाना खाना चाहिए. प्रेगनेंसी में व्यायाम, योगा और वॉक भी शरीर में थायराइड के लेवल को कंट्रोल करते में सहायक होते हैं. इस लिए प्रेगनेंसी के अनुसार सलाह लेकर एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए. साथ ही गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर चेकअप कराते रहना चाहिए ताकि यह पता रहे कि थायराइड की स्थिति क्या है.
थायराइड को कंट्रोल करने के लिए खाने की कई चीजों को शामिल करके और कुछ चीजों को डाइट से हटाकर इस समस्या निजात पा सकते हैं. गर्भावस्था के दौरान अगर आप हाइपोथायरायडिज्म की शिकार हो गई हैं तो मीट, अंडा, सी-फूड्स, आयोडीन युक्त नमक, डेयरी फूड को खाने में शामिल करना चाहिए. वहीं अगर गर्भवती को हाइपरथायरायडिज्म की दिक्कत है तो अंडे का सफेद भाग, ऐसे नट्स जिसमें नमक की मात्रा न हो, फल, जौ से बनी चीजें, ब्लैक कॉफी को डाइट में शामिल करना चाहिए. इस सब के साथ आपको गर्भावस्था के दौरान थायराइड के संबध में डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.