भारत सरकार ने हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक और ICMR की ओर से बनाई गई कोरोना वैक्सीन COVAXIN को इमरजेंसू यज के लिए मंजूरी दे दी है. Covaxin भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है. दावा है कि Covaxin कोरोना वायरस के खिलाफ अधिक इम्युनिटी पैदा करती है. इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भारत बायोटेक के चेयरमैन और MD कृष्णा एला (51 साल) की पूरी दुनिया में सराहना मिल रही है.
डॉ कृष्णा एला का जन्म आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित तिरुथानी के मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था. कृष्णा एला पारंपरिक खेती को अपना पेशा बनाना चाहते थे पर उनके पिता इससे सहमत नहीं थे. पढ़ाई करने के बाद कृष्णा एला ने एक जर्मन केमिकल और फार्मास्यूटिकल कंपनी संग काम करना शुरू कर दिया.
उस कंपनी में डॉ एला ने अमेरिका में पढ़ने के लिए फेलोशिप हासिल की. इससे पहले डॉ कृष्णा एला ने कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर से मेडिकल में स्नातक किया और फिर हवाई विश्वविद्यालय अमेरिका से एमएस के लिए गए. दक्षिण कैरोलिना विश्वविद्यालय-चार्ल्सटन में संकाय पद लेने से पहले उन्होंने विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल की.
विदेश में काम करने में डॉ कृष्णा एला को मजा नहीं आया और वे पत्नी सुचित्रा के साथ 1996 में भारत लौट आए. एला दंपति ने कुल 12.5 करोड़ से भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड की स्थापना की और आज यह कंपनी 500 करोड़ से अधिक की हो गई है. भारत बायोटेक ने यूनिसेफ, जीएवीआई और अन्य चैनलों के माध्यम से 150 से अधिक विकासशील देशों में 4 बिलियन से अधिक वैक्सीन की खुराक पहुंचाई है.
भारत बायोटेक इंडिया 140 से अधिक पेटेंट के साथ, 16 से अधिक टीके, 4 जैव-चिकित्सा, 116 देशों में पंजीकृत है और WHO ने अपने पोर्टफोलियो में कंपनी के प्रीक्वालिफाइड टीके लगाए हैं. भारत बायोटेक ने इससे पहले रोटा वायरस प्रेरित डायरिया संक्रमण के खिलाफ दुनिया का सबसे किफायती टीका रोटावैक विकसित किया था.
भारत बायोटेक ने WHO प्री-क्वालिफाइड टायफॉइड कंजुगेट वैक्सीन (टीसीवी) टाइपबैक टीसीवी को विकसित किया, जो 6 माह के बच्चे को भी दिया जा सकता है. 2018 में भारत बायोटेक ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित ह्यूमन चैलेंज स्टडी के माध्यम से टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन की एफिसिएंशी साबित की थी.
Source : News Nation Bureau