इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कम करने के लिए सबसे कारगर उपाय है. यह डायटिंग का लेटेस्ट ट्रेंड बन रहा है. मोटापा कई सारी बीमारियों की जननी है. जिसका BMI औसतन से ज्यादा हो जाता है. वो कई सारी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. बीपी, ब्लड शुगर होने की आशंका सबसे अधिक हो जाती है. वजन कम करने के लिए लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं. जिससे शरीर स्वस्थ रहता है.
भारत में फास्टिंग का नाता बहुत पुराना
हालांकि भारत में फास्टिंग का नाता बहुत पुराना है. यहां पर लोग खासतौर से स्त्रियां धार्मिक कारणों से व्रत रखती हैं. व्रत रखकर पूजा करती हैं, भगवान मनचाहा वरदान देते हैं. इसलिए यहां के लोग मुख्य रूप से करते हैं. यह ना केवल धार्मिक कारणों से फायदेमंद है बल्कि शारीरिक रूप से भी काफी लाभदायक है.
खाने के बीच 16 घंटे का रखें अंतर
इंटरमिटेंट फास्टिंग का अर्थ होता है कि रुक-रुक कर खाना. आपके पहले खाना और दूसरे खाने के बीच 16 घंटे का अंतर होना चाहिए. इसको बहुत ही आसान तरीके से किया जा सकता है. मान लें आप शनिवार की रात में 8 बजे डिनर करते हैं. रविवार सुबह आपको नाश्ता नहीं करना है. 12 बजे के बाद दिन में खाना खाएं. इसके पहले कुछ ना खाएं. इसके बीच 16 घंटे का अंतराल होना चाहिए.
दिमाग पर रहता है नियंत्रण
कई सारे डायटीशंस इसको करने के लिए सलाह देते हैं. इस फास्टिंग को करने से आपकी ऊर्जा बढ़ती है. दिमाग पर भी आपका नियंत्रण रहता है. कई लोगों ने दावा किया है कि इसको करने से बहुत फायदा हुआ है. इससे 2-3 महीने में 5-6 किलो वजन कम हुआ है. व्रत करने से वजन कम होता ही है साथ ही जो सेल्स अच्छे से काम नहीं कर रहीं उन सेल्स को खत्म करने और अच्छी सेल्स को रेजुवनेट करने में भी मदद मिलता है.
आयुर्वेद पद्धति ने भी सही माना
आयुर्वेद पद्धति में भी व्रत को सही माना गया है. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सप्ताह में एक बार व्रत रखने को कहा गया है. इससे शरीर को काफी फायदा होता है. इंटरमिटेंट फास्टिंग को बहुत ही सरल तरीके से किया जा सकता है. इसमें भूखा भी नहीं रहना है औऱ खाना भी नहीं है. कुछ अंतराल तक कुछ खाना नहीं है.