Vitamin-D : विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए अधिक सूरज किरणों का संपर्क, खान-पान में विटामिन डी युक्त आहार शामिल करना, और यदि आवश्यक हो तो विटामिन डी के सप्लीमेंट का उपयोग किया जा सकता है. यदि आपको लगता है कि आप विटामिन डी की कमी से पीड़ित हो सकते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना सही होगा. इसके अलावा आप कुछ अहम सप्लिमेंट्स को भी शामिल कर सकते हैं, जो आपको इस कमी से उबरने में मदद करेंगे...
विटामिन डी टेबलेट्स: ये सबसे आम रूप हैं और विभिन्न डोज़ में उपलब्ध होते हैं। आमतौर पर, इन्हें खाने के साथ या खाने के बाद लिया जाता है.
कैप्सूल या सॉफ्टजेल्स: ये भी विटामिन डी के सप्लिमेंट्स का एक प्रकार हैं और आमतौर पर इन्हें खाने के साथ या खाने के बाद लिया जाता है.
ड्रॉप्स: ये बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाए जाते हैं और खाने के बाद या डॉक्टर के निर्देशानुसार दिए जाते हैं.
स्प्रे: कुछ विटामिन डी सप्लिमेंट्स स्प्रे के रूप में भी उपलब्ध होते हैं, जो कि सीधे मुंह में छिड़के जाते हैं.
विटामिन डी के सप्लिमेंट्स का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है, खासकर अगर आप किसी भी विशेष स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं.
विटामिन-डी की कमी ने होती हैं ये परेशानियां
रिकेट्स (Rickets): यह बच्चों में होने वाली सबसे सामान्य विटामिन डी की कमी से होती है. इसमें हड्डियों का सही विकास नहीं होता है, जिससे शारीरिक गतिविधियों में दिक्कतें आ सकती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस : विटामिन डी की कमी बड़े आयु के व्यक्तियों में हड्डियों की कमजोरी और ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकती है.
बिगड़ती मनोदशा : विटामिन डी की कमी से अवसाद और चिंता जैसी मनसिक समस्याएं भी हो सकती हैं.
हृदय रोग : कुछ शोध अध्ययनों में दिखाया गया है कि विटामिन डी की कमी हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकती है.
डायबिटीज : विटामिन डी की कमी को डायबिटीज के खतरे के साथ जोड़ा गया है.
ये भी पढ़ें : आंखों की रोशनी कम होने पर क्या करें? ये टिप्स करेंगे आपकी मदद
ये भी पढ़ें : Brahmacharya : क्या है ब्रम्हाचार्य ? जानें क्या हैं इसे पालन करने के लिए नियम
Source : News Nation Bureau