Parkinson: पार्किंसंस एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो धीरे-धीरे व्यक्ति की चिकित्सा और जीवनस्तर पर असर डालती है. यह बीमारी अधिकतर बुढ़ापे में होती है और इससे जुड़े लक्षणों में मुख्यत: कंपन, स्थिरता की कमी, और चलने में कठिनाई शामिल हैं. पार्किंसंस, जिसे ठंडे तापमान और स्थिर व्यायाम की कमी के साथ जुड़ा हुआ ऑप्टिकल फाइबर विकृति के रूप में जाना जाता है. इसका सीधा असर व्यक्ति की चिकित्सा और जीवनस्तर पर होता है. यह एक बड़ा व्यक्तिगत और पारिवारिक परिवर्तन ला सकता है जो रोगी को और उनके परिवार को सामृद्धि और सपोर्ट प्रदान करने में आवश्यक होती है. पार्किंसंस बीमारी का मुख्य कारण दिमाग में स्रावित होने वाले डॉपामीन नामक रसायनिक की कमी होती है. डॉपामीन एक न्यूरोट्रांसमिटर है जो हमारी फ़ाइब्रोटिक उम्र बढ़ने को विकसित करने और बनाए रखने में मदद करता है. आइए जानें पार्किंसंस के होने के कारण:
डॉपामीन की कमी: पार्किंसंस का मुख्य कारण है डॉपामीन नामक रसायनिक माध्यम की कमी जो न्यूरोन्स के बीच संवेगात्मक संदेशों को संचारित करने में सहायक होता है.
लेवोडोपा की कमी: इस बीमारी में लेवोडोपा नामक रसायनिक के उत्पाद में कमी हो सकती है, जिससे डॉपामीन की विक्रिया प्राप्त होने में कठिनाई होती है.
पार्किंसंस के लक्षण:
कंपन: शरीर के विभिन्न हिस्सों में कंपन हो सकता है, विशेषकर हाथों, पैरों, मुख, और जीभ में.
स्थिरता की कमी: रोगी को अचानक खड़े होने में कठिनाई हो सकती है और वह स्थिरता की कमी का सामना कर सकते हैं.
चलने में कठिनाई: चलने में बदलाव और कठिनाई भी एक सामान्य लक्षण हैं.
हृदय दर्द: कुछ लोगों को दिल की समस्याएं भी हो सकती हैं.
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पार्किंसंस के लक्षण व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन सही उपचार और समर्थन के साथ, रोगी इससे बेहतरीन जीवन जी सकता है.
उपचार:
दवाएँ: अनेक सारी दवाएँ, जैसे कि लेवोडोपा, कार्बिडोपा, और अमंत्रिप्तिलीन, से इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है.
चिकित्सा रोगी व्यायाम: फिजियोथेरेपिस्ट के साथ समर्थन से व्यायाम करना सहारा कर सकता है.
सर्जरी: कुछ मामलों में, सर्जरी का विचार किया जा सकता है जब औरकरनी के साथ संबंधित गहरी समस्याएं होती हैं.
पार्किंसंस एक जीवनशैली को बदल सकने वाली बीमारी है, लेकिन सही उपचार और समर्थन के साथ, रोगी एक सकारात्मक और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन जी सकता है.
Source : News Nation Bureau