जानिए, क्यों भारत मेटाबॉलिक सिंड्रोम की महामारी का कर रहा है सामना?

भारत मेटाबॉलिक सिंड्रोम की महामारी का सामना कर रहा है। बच्चो मे मोटापा रोकना बेहद जरूरी है।

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ruchika sharma
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जानिए, क्यों भारत मेटाबॉलिक सिंड्रोम की महामारी का कर रहा है सामना?
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भारत मेटाबॉलिक सिंड्रोम की महामारी का सामना कर रहा है। मेटाबोलिक सिंड्रोम दिल की बीमारी और अन्य गंभीर रोग जैसे डायबिटीज और स्ट्रोक के होने का खतरे बड़ा देती है।

इस सिंड्रोम को पेट का मोटापा, अच्छे कोलेस्ट्रॉल की कमी, हाई ब्लडप्रेशर और हाई शुगर से मापा जाता है। पेट का घेरा अगर पुरुषों में 90 सेंटीमीटर से ज्यादा और महिलाओ मे 80 सेंटीमीटर से ज्यादा हो, तो भविष्य में होने वाले दिल के दौरे की संभावना का संकेत होता है।

सामान्य वजन वाला मोटापा एक नई गंभीर समस्या बन कर उभर रहा है। अगर आप का वजन सामान्य सीमा से अंदर है तब भी आप मोटापे का शिकार हो सकते है।

आजकल बच्चे भी मोटापे से ग्रस्त है जो कि बेहद चिंताजनक है। अगर आपके बच्चे का उम्र और लिंग के रेशो मे BMI 95 प्रतिशत है तो इसका मतलब आपका बच्चा मोटापे का शिकार है। 

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पेट के पास एक इंच ज्यादा चर्बी दिल संबंधी बीमारियां के होने के खतरे को डेढ़ गुना बढ़ा देती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, 'आम तौर पर जब कद बढ़ना रुक जाता है, तो ज्यादातर अंगो का विकास भी थम जाता है। दिल, किडनी या लिवर इसके बाद नही बढ़ते। कुछ हद तक मांसपेशियां ही बनती है। इसके बाद वजन बढ़ने की वजह केवल चर्बी जमा होना ही होता है। इसलिए युवावस्था शुरू होने के बाद वजन चर्बी की वजह से बढ़ता है।'

डॉ अग्रवाल ने कहा, 'पुरुषों में 20 साल और महिलाओं में 18 साल के बाद किसी का वजन पांच किलो से ज्यादा नही बढ़ना चाहिए। 50 साल की उम्र के बाद वजन कम होना चाहिए ना कि बढ़ना चाहिए।'

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बच्चो मे मोटापा आगे चल कर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बनता है। 70 प्रतिशत मोटापे के शिकार युवाओं को दिल के रोग का खतरा होता है। बच्चे और किशोर जिनमे मोटापा है, उन्हे जोड़ो और हड्डियो की समस्याएं, स्लीप एप्निया और आत्म-विश्वास में कमी जैसी मानसिक समस्याएं होने का भी ज्यादा खतरा होता है।

अगर आप अपने बच्चों को मोटापे के शिकार होने से बचाना चाहते है तो इन बातो का रखे ख्याल:

* सप्ताह में एक दिन कार्बोहाइड्रेट्स जैसे सफेद चावल, मैदा और चीनी का सेवन न करे। सफ़ेद चीनी के बजाए भूरी चीनी का इस्तेमाल करे।

* कड़वे और मीठी सब्जियां मिलाकर खाएं जैसे आलू मटर की जगह आलू मेथी बनाएं। करेले, मेथी, पालक, भिंडी जैसी हरी कड़वी चीजें खाएं।

* वनस्पति, घी का इस्तेमाल न करे। यह शरीर मे बुरे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाकर अच्छे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

* एक दिन में 80ML से ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक न पिएं।

* 30 प्रतिशत से ज्यादा चीनी वाली मिठाइयां न खाएं।

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Source : IANS

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