मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण सर्दी जुखाम, बॉडी में दर्द खांस जोड़ो में दर्द, बुखार होता है. उसके बाद मंकीपॉक्स का वायरस स्किन पर दिखाई देता है. स्किन पर बड़े छोटे फोड़े आते है उसमें फंस जम जाता है फिर वो फूटता है और स्किन पर उसके निशान साफ दिखाई देते है. दुनिया में मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीका से हुई है. मौजूदा समय में मंकी पॉक्स दो प्रकार के हैं. साउथ अफ्रीकन वेरिएंट और दूसरा वेस्ट अफ्रीकन वेरिएंट. वेस्टर्न अफ्रीकन वेरिएंट स्ट्रेन की तुलना में सेंट्रल अफ्रीकन वेरिएंट स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक है. फिलहाल दुनिया में फैल रहा है वो वेस्टर्न अफ्रीकन वेरिएंट है जिसके लक्षण माइल्ड है और सेंट्रल अफ्रीकन वेरिएंट स्ट्रेन की तुलना में कम जानलेवा है.
भारत में अभी सिर्फ 3 मंकी पॉक्स के मरीज पाएं जा चुके है इसलिए यह कहना मुश्किल होगा कि ये जानलेवा है या नहीं. लेकिन समय पर इलाज करना जरूरी है नहीं तो भारत में भी मंकी पॉक्स मरीजों की संख्या बढ़ने में डर नहीं लगेगा. मंकीपॉक्स कोराना की तरह खांसी, सर्दी ड्रोपलेट्स से फैलता है. साथ ही मंकी पॉक्स पीड़ित मरीज के स्किन पर फोड़े होते है उसमें से निकलने वाले फंस के ड्रॉपलेटस से भी मंकी पॉक्स तेजी से फैलता है.
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आईसोलेशन में रखने की जरूरत
मंकी पॉक्स मरीज को पूरी तरह से ठीक होने के लिए 4 हफ्ते तक आईसोलेशन में रखने की जरूरत होती है. साथ ही बीमारी अगर बढ़ जाती है तो बुखार दिमाग तक चढ़ जाता है. न्यूओमनिया भी होने की ज्यादा संभावना है. मास्क पहने रखना, दूरी रखना, जानवर पाल रहे हो तो उनको साफ रखना लक्षण पाते ही समय पर इलाज करना जरूरी है. विदेश से भारत आया हुआ मंकी पॉक्स वायरस है इसलिए विदेश यात्रा फिलहाल रिस्की हो सकता है. मंकी पॉक्स के लिए अलग से दवाई या वैक्सीन नहीं है इसलिए फ्लू और स्मॉल पॉक्स की दवाई से ही मंकी पॉक्स का इलाज किया जा रहा है. इसलिए मंकी पॉक्स होने से बचना और बीमार होने पर तुरंत इलाज यही इसका मौजूदा इलाज है.
HIGHLIGHTS
- मंकीपॉक्स का वायरस स्किन पर दिखाई देता है
- मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीका से हुई
- सेंट्रल अफ्रीकन वेरिएंट स्ट्रेन की तुलना में कम जानलेवा