दिल की सेहत को ठीक रखने के लिए अर्जुन के छाल को अमृत माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार अर्जुन का छाल सिर्फ आपके दिल को ही सुकून देता है ऐसा नहीं है ये आपके पेट को ठीक करता है, आपके दिमाग को फिर से जीवंत करता है. इसके साथ अर्जुन के बारे में और भी कई अच्छी बातें हैं जो सभी को जाननी जरूरी है. यह आयुर्वेद की सभी जड़ी-बूटियों में सबसे अच्छा कार्डियो-टॉनिक (ह्रदय) है. इसकी ठंडी प्रकृति, कसैला स्वाद और आसानी से पचने वाली गुणवत्ता हमें कफ और पित्त दोष को संतुलित करने में मदद करती है और इसका कटु विपाक (पाचन के बाद का प्रभाव) रक्त को भी विषमुक्त करने में मदद करता है. यह त्वचा के लिए भी अच्छा होता है.
अर्जुन यह कई विकारों में उपयोगी है:-
-कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है.
-आपके दिल को स्वस्थ रखता है.
-रक्तचाप को बनाए रखने में मदद करता है.
-अत्यधिक प्यास से राहत दिलाता है.
-अत्यधिक रक्तस्राव को कम करता है.
-थकान दूर करता है.
-यूटीआई (UTI) में भी मदद करता है.
-शुगर के स्तर को बनाए रखता है.
-खुजली कम करता है (खासतौर पर पित्ती में).
-एसिडिटी और पित्त विकारों को कम करने में मदद करता है.
-त्वचा रोगों में उपयोगी.
अर्जुन का सेवन चाय, टैबलेट, पाउडर या सिरप के रूप में किया जा सकता है. इन सभी फायदों के लिए जिम्मेदार हिस्सा इसकी छाल (अर्जुन चल) है जिसके कारण यह की बीमारियों को दूर करने में मदद करता है. इसके साथ ही, अर्जुन की चाय हानिरहित और हृदय स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है. यह रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और आपके दिल को स्वस्थ रखता है. इसे बनाना बहुत आसान है और इसका स्वाद भी अच्छा होता है.
इसे तैयार करने का तरीका कुछ इस तरह है:
2 कप पानी (200 मिली) में 1 बड़ा चम्मच (5 ग्राम) अर्जुन की छाल का पाउडर या काढ़ा लें, उबालें और आधा कप तक कम करें, गर्म होने पर छान लें और सेवन करें.
इस चाय को आप दिन में दो बार खाली पेट पी सकते हैं. आप इसे चाय के रूप में दूध के साथ भी ले सकते हैं. 200 मिली पानी और दूध में 5 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण/काढ़ा मिलाकर आधा होने तक उबालें. इसे छानकर सोने के समय या सुबह/शाम भोजन से 1 घंटा पहले पियें.
आप इसे अपने लिए या परिवार के अन्य सदस्यों को भी पीने के लिए दे सकते हैं. अगर उन्हें दिल की समस्या है तो, आप इसके इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें.