कोरोना के मामलों की शुरूआत 2019 की ठंड से हुई. उसी साल दिसंबर के आते ही चीन में कोरोना ने कहर मचाना शुरू कर दिया था. इस नए वायरस से पूरी दुनिया में दहशत फैल गई थी. धीरे-धीरे यह यूरोप के कई हिस्सों में फैलने लगा. यहां पर इसने भयानक ताबाही मचाई. अगर कोरोना की लहर का ट्रेंड देखा जाए तो यह हर साल दिसंबर माह में तेजी से उभरता है. कोरोना के वैरिएंट हर साल सामने आ रहे हैं. इस बार एक नया वैरिएंट जेएन.1 दुनिया के सामने आया है. अब सवाल ये उठता कि हर बार कोरोना की लहर दिसंबर में क्यों समाने आ जाती है? आइए जानते हैं बीते चार साल में आए कोरोना वैरिएंट .
ये भी पढ़ें: विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल बने कैबिनेट मंत्री, कृष्णा गौर स्वतंत्र प्रभार, देखें 'मोहन' कैबिनेट की पूरी सूची
साल 2020 के दिसंबर माह में कोरोना में तीन बड़े वैरिएंट सामने आए थे. इसमें अल्फा (बी.1.1.7), बीटा (बी.1.351), और गामा (पी.1) था. इसके एक साल यानि दिसंबर 2021 में ओमिक्रॉन वैरिएंट ने लॉकडाउन को आगे बढ़ाने का काम किया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ. वायरस के नए वैरिएंट हर साल सामने आ रहे हैं. इस दिसंबर में महामारी की वजह बनने वाला कोरोना वायरस का नया वैरिएंट जेएन.1-दुनिया भर में तबाही मचा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में वर्गीकृत किया है. हालांकि ऐसा कहा जा रहा है कि ये स्वास्थ्य के लिए कम जोखिम भरा है. 2022 ही ऐसा साल रहा है, जब कोई नए प्रमुख वेरिंट ने दस्तक नहीं दी.
आखिर क्यों दिसंबर में आती है लहर
कई अध्ययनों में ठंड और शुष्क सर्दी में कोरोना तेजी से फैलता पाया गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि यह मौसम कोरोना वायरस के फैलने के लिए उपयुक्त है. डेल्टा वैरिएंट पर किए अध्ययन में सामने आया है कि इस मौसम में अकसर लोग मनोरंजन के भीड़भाड़ जगहों पर पहुंचते हैं. इससे वायरस को फैलने में आसानी होती है. क्रिसमस के बाद न्यू ईयर सेलिब्रेशन पूरे यूरोप के साथ ऐशियाई देशों में धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसे में महामारी के फैलना स्वाभाविक है. सर्दी में वायरस ज्यादा एक्टिव बताए जाते हैं. इस समय आम सर्दी और जुकाम होने पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं. इस वजह से मामले तेजी से फैल जाते हैं.
Source : News Nation Bureau