दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्क्युलर अट्रॉपी (SMA) से जूझ रही मुंबई की पांच महीने की तीरा कामत (Tira Kamat) के इलाज में 16 करोड़ रुपये का एक इंजेक्शन लगना है. स्पाइनल मस्क्युलर एथ्रॉपी एक दुर्लभ जैनेटिक कंडीशन है, जिसके चलते मसल्स का नुकसान होता है. इंसानों के शरीर में एक खास तरह का जीन प्रोटीन बनाता है, जिससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं जीवित रहती हैं. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि तीरा के शरीर में यह जीन ही नहीं है और उसके शरीर में प्रोटीन नहीं बन पा रहा है. इससे तीरा की तंत्रिकाएं निर्जीव होने लगी थीं. इसी स्थिति को एसएमए यानी स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉपी कहते हैं. स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉपी कई तरह का होता है, लेकिन टाइप 1 इसमें सबसे खतरनाक होता है.
13 जनवरी 2021 को मुंबई के एक अस्पताल में तीरा को भर्ती कराया गया था. उसके बाद भी उसकी हालत नहीं सुधरी और धीरे-धीरे एक फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों ने तीरा के पिता मिहिर कामत से कहा था- आपकी बेटी छह महीने से ज़्यादा ज़िंदा नहीं रहेगी. इसके लिए भारत में कोई इलाज नहीं है. तीरा का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने हमें पहले दिन यही कहा था. मिहिर कहते हैं, पैदा होने के बाद तीरा ठीक थी और सब कुछ बेहतर चल रहा था पर कुछ दिनों बाद मां का दूध पीते वक़्त तीरा का दम घुटने लगता था. शरीर में पानी की कमी होने लगी. कभी-कभी तो कुछ सेकेंड के लिए उसकी सांस भी थम गई थी.
विदेश नहीं ले जा सकते तीरा को
इसके बाद तीरा को डॉक्टर से दिखाया गया. एक न्यूरोलॉजिस्ट ने तीरा का इलाज करने के बाद कहा था, बच्ची एसएमए टाइप 1 से पीड़ित है. हालांकि तब मां-बाप को अंदाजा नहीं था कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है. हालांकि इस बीमारी के खतरे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत में इसका कहीं भी इलाज नहीं है. इस बीमारी के इलाज के लिए शरीर में उस जीन को रीलीज किया जाता है. मिहिर कहते हैं कि ऐसी हालात में तीरा को कहीं बाहर ले जाना भी मुमकिन नहीं है. जिस इंजेक्शन से तीरा को राहत मिल सकती है, उसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है. तीरा के पिता मिहिर आईटी सर्विस कंपनी में कार्यरत हैं तो मां प्रियंका फ्रीलांस इलेस्ट्रेटर हैं. इंजेक्शन की कीमत सुन दोनों के होश उड़ गए थे.
10 देशों के दानदाताओं ने दिखाया बड़ा दिल
सोशल मीडिया पर महिर और प्रियंका की अपील के माध्यम से तीरा की लाइलाज बीमारी की खबर देश-विदेश में फैली तो दानदाता भी आगे आए. करीब 10 देशों के लोगों ने तीरा के इलाज के लिए पैसे भेजे और अब अच्छी खबर यह है कि परिवार ने अब तक 16 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं. तीरा के इलाज के लिए लोगों ने 100 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का दान दिया है. वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चिट्ठी पर मोदी सरकार (Modi Government) ने भी इंजेक्शन पर 6 करोड़ का टैक्स माफ कर दिया है.
इंजेक्शन की कीमत इतनी क्यों?
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉपी के इलाज के लिए तीरा को Zolgensma नाम का इंजेक्शन लगाया जाएगा. Zolgensma को स्विटजरलैंड की नोवार्टिस कंपनी तैयार करती है. कंपनी की ओर से कहा गया है कि यह इंजेक्शन जीन थैरेपी ट्रीटमेंट की तरह काम करता है और इसे एक बार ही लगाया जा सकता है. खास बात यह है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को ही यह इंजेक्शन लगाया जा सकता है. लोग जानना चाहते हैं कि इंजेक्शन की कीमत इतनी क्यों है?
कंपनी के सीईओ नरसिम्हन की ओर से कहा गया है कि मेडिकल जगत में जीन थैरेपी बड़ी खोज है. तीसरे चरण का परीक्षण किए जाने के बाद इंस्टिट्यूट फॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक ने इस इंजेक्शन की कीमत 9 से 15 करोड़ रुपए के बीच तय की थी. नोवार्टिस कंपनी ने इसी को देखते हुए इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपये रखी.
Source : News Nation Bureau