भारत में कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान तेजी से चल रहा है. भारत की 25 फीसद आबादी को कोरोना की दोनों डोज लगाई जा चुकी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी कोरोना की बूस्टर डोज लगवाई है. ऐसे में भारत में भी यह सवाल किया जा रहा है कि क्या हमारे देश में लोगों को बूस्टर डोज लगाई जाएगी. भारत सरकार का कहना है कि उसकी प्राथमिकता फिलहाल भारत की व्यस्क आबादी के टीकाकरण और 12 से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण शुरू करने पर है. बुधवार रात तक, भारत ने 23.6 करोड़ लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया है, अन्य 40.9 करोड़ लोगों को वैक्सीन की एक खुराक लगाई जा चुकी है.
कई देशों में वैक्सीन की बूस्टर डोज देनी शुरू हो चुकी है. अमेरिका में 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है. बाइडन ने बूस्टर डोज लगवाने के बाद कहा कि परेशानी यह है कि काफी अमेरिकी अभी भी वैक्सीन के पहला डोज लेने से इनकार कर रहे हैं, जो डेल्टा वेरिएंट के मामले बढ़ा रहे हैं. अब भारत में जब बूस्टर डोज की मांग उठी तो नाम न छापने की शर्त पर एक बड़े सरकारी अधिकारी ने कहा, "आखिरकार हमें बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो सकती है, और इस पर कुछ चर्चाएं भी हुई हैं, लेकिन वर्तमान में ध्यान सभी वयस्कों के टीकाकरण और कार्यक्रम में बच्चों को शामिल करने की प्रक्रिया पर है. अब जायडस कैडिला वैक्सीन को मंजूरी दी गई है. इस समय बहुत विचार किया जा रहा है कि इसे (Zydus वैक्सीन) सिस्टम में कैसे पेश किया जाए. ”
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2 अक्टूबर को मिल सकती है एक और वैक्सीन
केंद्र सरकार और Zydus Cadila इस हफ्ते दुनिया की पहली कोविड रोधी डीएनए वैक्सीन ZyCoV-D की कीमत तय कर सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के मौके पर वैक्सीन को लॉन्च किया जा सकता है. भारत के औषध महानियंत्रक ने पिछले महीने जायडस कैडिला के स्वदेशी तौर पर विकसित सुई-मुक्त कोविड-19 टीके जायकोव-डी को आपातकालीन उपयोग प्राधिकार (ईयूए) दिया है, जिसे देश में 12-18 वर्ष के आयु वर्ग के लाभार्थियों को दिया जाना है. जायकोव-डी एक प्लाज्मिड डीएनए टीका है. प्लाज्मिड इंसानों में पाए जाने वाले डीएनए का एक छोटा हिस्सा होता है. ये टीका इंसानी शरीर में कोशिकाओं की मदद से कोरोना वायरस का ‘स्पाइक प्रोटीन’ तैयार करता है, जिससे शरीर को कोरोना वायरस के अहम हिस्से की पहचान करने में मदद मिलती है.
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68.7% पात्र आबादी को कम से कम एक खुराक दिए जाने के बाद, यह संभावना है कि पहली खुराक की मांग कम होने लगेगी. कई पश्चिमी देशों में, अधिकतम सीमा पात्र जनसंख्या का लगभग 80% है. बूस्टर डोज की बात करें तो अब कई देशों में बूस्टर डोज का लगना भी शुरू हो गया है. एक कोविड -19 बूस्टर शॉट वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक है, ताकि मूल खुराक द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा फीकी न पड़े. अमेरिका ने उच्च जोखिम वाले स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य लोगों के लिए बूस्टर खुराक को मंजूरी दी है. हालांकि वैक्सीन असमानता के कारण बूस्टर शॉट को लेकर कई विवाद भी हैं. लोगों का कहना है कि दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां लोगों को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लगा है और लोग बूस्टर डोज ले रहे हैं. अफ्रीका के कई हिस्सों में लोगों को अभी तक वैक्सीन की एक खुराक भी नहीं मिली है.