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विश्व अल्जाइमर दिवस 2017: भूलने की बीमारी 'अल्जाइमर' पर पाए काबू, इन तरीकों का करें इस्तेमाल

उम्र बढ़ने के साथ इंसान की शारीरिक एवं मानसिक अवस्था में व्यापक परिवर्तन होते हैं। विश्व अल्जाइमर दिवस पर यह महत्वपूर्ण जानकारी जेपी हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक ने दी।

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ruchika sharma
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विश्व अल्जाइमर दिवस 2017: भूलने की बीमारी 'अल्जाइमर' पर पाए काबू, इन तरीकों का करें इस्तेमाल

विश्व अल्जाइमर दिवस (फाइल फोटो)

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उम्र बढ़ने के साथ इंसान की शारीरिक एवं मानसिक अवस्था में व्यापक परिवर्तन होते हैं। मानव शरीर जब वयस्क अवस्था से वृद्धावस्था की तरफ पहुंचने लगता है तब प्राकृतिक रूप से शारीरिक शक्ति क्षीण होने लगती है। ऐसे में हमारा शरीर कई तरह की बीमारी से रोगग्रस्त होने लगता है। ऐसी ही एक बीमारी अल्जाइमर है। अल्जाइमर 'भूलने का रोग' है। 

सामान्य धारणा है कि अल्जाइमर युवावस्था में नहीं बल्कि 70 साल की उम्र से अधिक के व्यक्ति में होता है लेकिन सच यह है कि यह कम उम्र में भी हो सकता है जो कि वंशानुगत भी हो सकता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस बीमारी का खतरा बढ़ता जाता है।

डॉ. गुप्ता के अनुसार, 'दिमाग का वह हिस्सा जो याददाश्त बनाता है उसे टेम्पोरल लोब कहते हैं। अल्जाइमर के रोगियों में दिमाग का यह हिस्सा धीरे-धीरे क्षीण होने लगता है। इससे रोगी चीजों को भूलने लगता है। बढ़ती उम्र के साथ उसमें चिड़चिड़ापन और अचानक मूड बदलने का स्वभाव आ जाता है। रोगी अपने आप में आए इस व्यवहार से खुद हैरान होता है, लेकिन उसे पता नहीं चलता कि यह सब आखिर कैसे हो रहा है?'

उन्होंने कहा, 'इंसान के दिमाग में एक सौ अरब कोशिकाएं होती हैं। हरेक कोशिका बहुत सारी अन्य कोशिकाओं के साथ नेटवर्क बनाती हैं। इस नेटवर्क का काम सोचना, सीखना, याद रखना, देखना, सुनना, सूंघना, मांसपेशियों को चलने का निर्देश देना आदि होता है। अल्जाइमर रोग में कुछ कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं, जिससे दूसरे कामों पर भी असर पड़ता है। जैसे-जैसे नुकसान बढ़ता है, कोशिकाओं में काम करने की ताकत कम होती जाती है और वे मर जाती हैं।'

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उन्होंने कहा, 'शुरुआती काल में इस बीमारी को पहचानना मुश्किल होता है। रोगी को पता ही नहीं चलता और यह बीमारी मस्तिष्क को प्रभावित करके उसकी याद्दाश्त और सोचने-समझने की क्षमता में अवरोध उत्पन्न करने लगती है। रोग की चपेट में आने पर व्यक्ति ठीक से सोचने-समझने, बोलने, काम करने में परेशानी महसूस करने लगता है। उसका सामाजिक दायरा संकुचित होता चला जाता है और वह अपने आप में सिमटता चला जाता है। हालांकि बीमारी के शुरूआती दौर में नियमित जांच और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है।'

अल्जाइमर बीमारी के लक्षण : 

-यादाश्त का कमजोर होना

-जानी पहचानी जगह के बारे में भूल जाना

-किसी खास या परिचित को देखने के बाद भी उसके बारे में कुछ भी याद न आना

-भाषा की परेशानी होना

-एक ही शब्द को बार-बार दोहराना

-समय और स्थान का पता न चलना

-सोचने की क्षमता में कमी आना

-मूड में लगातार बदलाव आना 

याददाश्त मजबूत रखने के उपाय : 

-बादाम और ड्राई फ्रूट खाने से दिमाग तेज होता है और याददाश्त बढ़ती है।

-फूलगोभी के सेवन से दिमाग तेज होता है। इससे हड्डियां भी मजबूत होती हैं।

-यदि बढ़ती उम्र में लोग अपना काम खुद करते हैं तो उन्हें अल्जाइमर रोग होने का खतरा कम होता है और स्मरणशक्ति तेज होती है।

-अल्जाइमर के दौरान दिमाग में बढ़ने वाले जहरीले बीटा-एमिलॉयड नामक प्रोटीन के प्रभाव को ग्रीन टी के सेवन से कम किया जा सकता है।

-हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, साबुत अनाज, मछली, जैतून का तेल अल्जाइमर रोग से लड़ने में मदद करती हैं।

-डॉ. मनीष गुप्ता के अनुसार, अगर अल्जाइमर रोग हो तो तिलए सूखे टमाटर, कद्दू, मक्खन, चीज, फ्राइड फूड, जंकफूड, रेड मीट, पेस्ट्रीज और मीठे का सेवन न करें।

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याददाश्त बढ़ाने के उपाय : 


-रोजाना व्यायाम और योग करके अल्जाइमर के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

-मेडिटेशन करने से भूलने की समस्या पर काबू पा सकते हैं।

-याददाश्त तेज करने के लिए सर्वांगासन करें।

-दिमाग तेज करना हो और याददाश्त बनाए रखनी हो तो भुजंगासन करें।

-एकाग्रता बढ़ाने के लिए कपालभाति प्राणायाम करें।

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Source : IANS

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