World Hemophilia Day: खून के थक्कों को बनने से रोकने वाली हीमोफीलिया अब लाइलाज नहीं

हीमोफीलिया एक अनुवाशिंक बीमारी है। इस बीमारी में खून के थक्के बनने की प्रकिया खत्म हो जाती है।

author-image
Aditi Singh
एडिट
New Update
World Hemophilia Day: खून के थक्कों को बनने से रोकने वाली हीमोफीलिया अब लाइलाज नहीं
Advertisment

हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी में खून के थक्के बनने की प्रकिया खत्म हो जाती है। विश्व हीमोफीलिया दिवस 17 अप्रैल को मनाया जाता है। विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने का लक्ष्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना और सभी के लिए उपचार है।

इसे ब्रिटिश रॉयल डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी सबसे पहले कई देशों के राजघरानों में देखनें को मिलती थी।यह बीमारी पुरूषों में अनुवांशिक रूप से होती है, वहीं महिलाएं वाहक होती है।

हीमोफीलिया के रोगियों में घुटनों, टखनों और कोहनियों के अंदर होने वाला रक्तस्त्राव अंगों और ऊतकों को भारी नुकसान पहुंचाता है। ये बीमारी फैक्टर 8 की कमी के कारण होती है। इसमें व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

इसे भी पढ़ें: शॉकिंग! 8 महीने की उम्र में बच्ची का वजन 17 किलो

हीमोफीलिया के प्रकार

हीमोफीलिया को हीमोफीलिया ए व हीमोफीलिया बी दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। हीमोफीलिया ए में फैक्टर-8 की मात्रा बहुत कम या शून्य हो जाती है। हीमोफीलिया बी फैक्टर-9 के शून्य या बहुत कम होने पर होता है। लगभग 80 प्रतिशत हीमोफीलिया रोगी, हीमोफीलिया ए से पीड़ित होते हैं।
हीमोफीलिया सी के कम मामले सामने आते हैं। यह क्रोमोजोम की कार्यप्रणाली बिगडऩे से होता है। इसमें रक्तस्राव बहुत तेज होता है।

5 हजार से 10,000 पुरुषों में से एक के हीमोफीलिया 'ए' ग्रस्त होने का खतरा रहता है जबकि 20,000 से 34,000 पुरुषों में से एक के हीमोफीलिया 'बी' ग्रस्त होने का खतरा रहता है।

इसे भी पढ़ें: भारत में फिस्ट्रोलॉजी थेरेपी लॉन्च,'यज्ञ' के वैज्ञानिक प्रयोग का होगा इस्तेमाल

हीमोफीलिया की पहचान

हीमोफीलिया की पहचान के लिए आपको थोड़ी सावधानी रखनी पड़ेगी। आपको या बच्चे के चोट लगने पर लगातार खून बहते रहना हीमोफीलिया की पहचान माना जाता है। प्लेटलेट काउंट, प्लेटलेट मारफोलॉजी, ब्ली डग टाइम, क्लॉ टग टाइम, प्रोथ्रोम्बिन, पारशियल टाइम आदि में कमी भी इसकी पहचान होती है। इस बीमारी की पहचान करने की तकनीक और इलाज महंगा है।

हीमोफीलिया का इलाज
इसका इलाज जेनेटिक इंजीनियरिंग से होता है। इस इलाज में मरीजों में फैक्टर 8 (काबुलेशन फैक्टर) ट्रांसफ्यूज किया जाता है। जहां ये सुविधा नहीं होती है वहां पर फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा से करते है। अधिक रक्त बहने के कारण मरीज को अधिक रक्त की जरूरत पड़ती है।

इसे भी पढ़ें: बच्चों में स्मार्टफोन की लत का करना पड़ रहा है इलाज

ऐसी स्थिति में हीमोग्लोबिन चढ़ा कर मरीज की जान बचाई जा सकती है। रक्त हीमोफीलिया से ग्रसित मरीज को प्लाजमा चढ़ा कर उसके रक्त स्त्राव को रोका जा सकता है। रक्त मुख्य औषधि का काम करता है।

15 से 25 हीमोफीलिया के मरीजों में उनके उपचार के दौरान शरीर की रक्षा करने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

Source : News Nation Bureau

World Hemophilia Day
Advertisment
Advertisment
Advertisment