हेपेटाइटिस का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर चिंता का भाव आने लगती है. यह चिंता लाजमी है. AIDS एड्स के बाद अगर कोई खतरनाक बीमारी है तो वह हेपेटाइटिस. इस बीमारी से हर साल लगभग 13.4 लाख लोगों की मौत हो रही है. यह बीमारी पांच प्रकार के होते हैं. हेपेटाइटिस A, हेपेटाइटिसB, हेपेटाइटिस C, हेपेटाइटिस D और हेपेटाइटिस E. हेपेटाइटिस A और E ज्यादा खतरनाक नहीं होते हैं. यह आमतौर पर दूषित पानी से फैलता है. हेपेटाइटिस B और C खतरनाक होता है. C ज्यादा खतरनाक होता है B से. हेपेटाइटिस लिवर को डैमेज कर देता है. जिससे लोगों की मौत हो जाती है. लिवर शरीर का मुख्य अंग होता है. इसका कुछ भाग खराब भी हो जाता है फिर भी शरीर को पूरा पोषण देता है.
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B का इंजेक्शन मार्केट में उपलब्ध है. इस इंजेक्शन को लगाने से कभी हेपेटाइटिस B नहीं होगी. लेकिन याद रहें इंजेक्शन लगाने से पहले खून जांच अवश्य करा लें. बीमारी निकलने पर इंजेक्शन काम नहीं करेगा. C के लिए अभी तक कोई इंजेक्श्न बाजार में उपलब्ध नहीं है. अगर आप भी इस बीमारी से चिंतित हैं तो आज ही डॉक्टर से संपर्क करें. किसी अच्छे लैब से खून की जांच कराएं. Hbsag के नाम से खून की जांच होती है. इससे पता चलता है कि हेपेटाइटिस है या नहीं.
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जानते हैं कैसे ये बीमारी फैलती है
संक्रमित खून से
अगर किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस B और C है और वह किसी दूसरे व्यक्ति को खून देता है तो उसे भी हेपेटाइटिस B और C हो जाएगा.
यौन संक्रमण से
किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस B और C है और वह किसी महिला से यौन संबंध बनाता है तो वह इस बीमारी की चपेट में जाएंगी. चाहे वह महिला हों या पुरुष दोनों को हो सकती है.
संक्रमित सूई से
किसी पीड़ित व्यक्ति के लिए जो सूई इस्तेमाल किए गए हैं. उस सूई को दूसरे व्यक्ति के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. उसे भी बीमारी हो जाएगी.
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टैटू बनाने से
टैटू बनाने में सूई का इस्तेमाल किया जाता है. इस दौरान अगर कोई हेपेटाइटिस से संक्रमित होता है. उसका भी टैटू बनाया जाता है. इसके बाद किसी और का भी बनाया जाता है तो उसे बीमारी हो जाएगी.
संक्रमित ब्लेड इस्तेमाल करने से
संक्रमित ब्लेड का इस्तेमाल करने से हेपेटाइटिस बी और सी हो जाएगा.
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क्या है इसके उपाय
- खून चढ़ाने से पहले उसकी जांच कर लें. जांचे बिना खून न चढ़ाएं
- संक्रमित यौन संबंध से बचें. संबंध बनाने वक्त कंडोम का करें इस्तेमाल
- दाढ़ी बनाने वक्त नया ब्लेड का इस्तेमाल करें. सैलून में अक्सर एक ही ब्लेड से कई लोगों को हजामत कर देते हैं. इससे बचें.
- टैटू बनाने से बचें. सूई के इस्तेमाल से खून निकलता है. वही खून दूसरे के शरीर में चला जाता है.
अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है. तो उसे आजीवन खून की जांच करवाना पड़ता है. हेपेटाइटिस के मरीज को Hbvdna, lft, kft, cbc, afp, hbeag, hbeab, fibroscan, endoscopy जैसी महत्वपूर्ण जांच करानी पड़ती है. हेपेटाइटिस C के मरीज को Hcvrna करवाना पड़ता है. बांकी सभी जांच हेपेटाइटिस बी वाला करवाना पड़ता है.
उपचार
हेपेटाइटिस बी के लिए टैबलेट Tenofovir 300 mg दिया जाता है. हेपेटाइटिस सी के लिए इंजेक्शन दिया जाता है.
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परिणाम
समय पर उपचार नहीं मिलने पर लिवर सिरोसिस हो जाती है. जो कैंसर का रूप ले लेता है. लिवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है. जिसमें लाखों रुपये खर्च करना पड़ता है. समय रहते उपचार शुरू कर लें. समय पर डॉक्टर से मिलें.
यहां कराएं इलाज
दिल्ली में AIIMS और LBS में इसका इलाज किया जाता है. सरकार टीबी के जैसै अब हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों को भी मुफ्त इलाज और दवाई देगी. बस मरीज को डॉक्टर की फीस ही देनी पड़ेगी. AIIMS में दवाई और फीस दोनों मुफ्त है.
क्या कहता है आंकड़ा
आंकड़ों की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में लगभग 32.5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस से प्रभावित है, जिनमें से हर साल लगभग 13.4 लाख लोगों की मौत हो जाती है. भारत में इसके पीड़ितो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, भारत में चार प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस वारयल से प्रभावित है. अकेले हेपेटाइटिस बी और सी वायरस से लगभग 60 लाख से 1.2 करोड़ लोग प्रभावित है.
HIGHLIGHTS
- हेपेटाइटिस को न लें हल्के में
- सही समय पर कराएं इलाज
- नहीं तो हो सकता है गंभीर