World Hepatitis Day on 28 July: शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग लीवर को बेकार कर देने वाले हेपेटाइटिस संक्रमण ने धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है और आज यह क्षयरोग के बाद सबसे ज्यादा जान लेने वाला संक्रामक रोग है. दुखदायी तथ्य यह है कि भारत सहित कुल 11 देश दुनिया के कुल हेपेटाइटिक मरीजों में से 50 प्रतिशत का बोझ उठा रहे हैं और इसके शिकार 80 प्रतिशत लोगों को इसके निदान, परीक्षण और इलाज के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
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मुख्यतः बैक्टीरिया के संक्रमण, अल्कोहल, दवाइयों के साइड इफेक्ट और ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण होने वाला हेपेटाइटिस कुछ मामलों में बेहद गंभीर होता है और लिवर कैंसर के साथ मौत का कारण बन सकता है. इस बीमारी की व्यापकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एचआईवी को एक समय दुनिया का सबसे घातक संक्रमण माना जाता था, लेकिन अब हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या से सात गुना ज्यादा है.
आंकड़ों की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में लगभग 32.5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस से प्रभावित है, जिनमें से हर साल लगभग 13.4 लाख लोगों की मौत हो जाती है. भारत में इसके पीड़ितो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, भारत में चार प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस वारयल से प्रभावित है. अकेले हेपेटाइटिस बी और सी वायरस से लगभग 60 लाख से 1.2 करोड़ लोग प्रभावित है.
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लांसेंट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित 67 देशों में इलाज, जांच, एहतियात और जागरूकता जैसे उपायों पर हर बरस छह अरब डॉलर की रकम खर्च करके अगले 11 वर्ष में 45 लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकता है. इन उपायों के जारी रहने पर उससे बाद के वर्षों में ढाई करोड़ से ज्यादा जिंदगियों को बचाया जा सकेगा.
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी प्रमुख डाक्टर जीएस लांबा के अनुसार, हेपेटाइटिस सी भारत में लीवर कैंसर के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है. हमारे देश में हेपेटाइटिस से जुड़े तथ्य निश्चित ही डराने वाले हैं. लगभग 4 प्रतिशत आबादी हेपेटाइटिस वायरस से संक्रमित है. पारस हॉस्पिटल्स, गुडगांव के डॉ. अनुकल्प प्रकाश, सीनियर कंसल्टेंट गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट के अनुसार हेपटाइटिस बी लिवर का एक ऐसा ‘शांत संक्रमण’ है, जो बिना किसी आहट के लिवर फेलियर, कैसर और इलाज न होने पर मौत का कारण बन सकता है. इसका प्रसार हेपेटाइटिस बी से संक्रमित व्यक्ति के रक्त, खुले हुए घाव, शरीर से निकलने वाले तरल के साथ-साथ नीडल्स्टिक इंजरी, टैटू अथवा पियर्सिंग कराने के दौरान हो सकता है.
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धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल के कंसलटेंट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, डॉक्टर महेश गुप्ता ने हेपेटाइटिस के विभिन्न वायरस की जानकारी देते हुए बताया कि हेपेटाइटिस ए और ई वायरस आमतौर पर दूषित पानी और खाने के सेवन से फैलता है. हेपेटाइटिस बी वायरस इंजेक्शन, संक्रमित खून दिए जाने और यौन संपर्क के कारण फैलता है. हेपेटाइटिस बी, सी और डी वायरस संक्रमित व्यक्ति के मूत्र, रक्त या अन्य द्रव्य पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है. इसके साथ ही यह संक्रमित रक्त, दूषित सुई एवं अन्य संक्रमित चिकित्सीय उत्पादों के प्रयोग से होता है. हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित मां से उसके होने बच्चे को भी हो सकता है.
लोगों को हेपेटाइटिस वारयस के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 28 जुलाई को “वर्ल्ड हेपटाइटिस डे” मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के रोकथाम, परीक्षण और इलाज के प्रति जागरूक करना है. डब्ल्यूएचओ ने विश्व हेपेटाइटिस डे 2019 के अपने अभियान में सभी देशों से वर्ष 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने के लिए निवेश करने का आह्वान किया है.