दुनिया में सबसे अधिक लंग्स कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं. हर वर्ष इसकी वजह से लाखों लोगों की मौत हो जाती है. फेफड़ों में होने वाला कैंसर सबसे ज्यादा वयस्कों में देखने को मिला है. हालांकि हमारे शरीर में एक प्राकृतिक रक्षा प्रणाली होती है जो हमारे फेफड़ों की रक्षा करने, गंदगी और कीटाणुओं को दूर रखने के लिए है. मगर गलत लाइफस्टाइल की वजह से दुनियाभर में फेफड़ों के कैंसर के रोगी बढ़ते जा रहे हैं. लंग्स कैंसर को लेकर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके. इसके लिए लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है. इसके लिए हर वर्ष एक अगस्त को वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे रूप में मनाया जाता है.
डॉक्टरों के अनुसार, सभी लोगों को एक ऐसी दिनचर्या का पालन करना होगा जो आपके फेफड़ों को स्वस्थ बनाने में सहायक हो. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि किन कारणों से कैंसर को जोखिम बढ़ जाता है?
क्या हैं लंग्स कैंसर के लक्षण?
डॉक्टरों के अनुसार, यदि आपको अक्सर खांसी या निमोनिया की समस्या बनी रहती है और इलाज के बाद भी दोबारा वापस शुरू हो जाती है तो इसे फेफड़ों के कैंसर का संकेत माना जा सकता है. फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा लक्षण लगातार या गंभीर होती खांसी, इसके साथ सांस लेने में तकलीफ होना. सीने में दर्द बने रहना. अक्सर आवाज बैठ जाना या वजन का तेजी से कम होना.
गलत जीवनशैली कैंसर को देती है जन्म
आपकी कई आदतें कैंसर को जन्म दे सकती है. ऐसे में सभी लोगों को इसे बदल देना चाहिए.
धूम्रपान से सबसे अधिक खतरा
सिगरेट या धूम्रपान करने से फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान होता है. ये कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की प्रमुख वजह हो सकता है. सिगरेट का धुआं वायुमार्ग को छोटा कर देता है. इसके सांस लेने में कठिनाई होती है. यह फेफड़ों में क्रोनिक सूजन का कारण होता है. सिगरेट का धुआं फेफड़ों के ऊतकों को गंभीर क्षति पहुंचाता है. इस कारण कैंसर होने खतरा बढ़ जाता है.
प्रदूषण भी बड़ा कारण
प्रदूषण की वजह से भी लंग्स कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. हम अधिक समय तक घरों और दफ्तर में रहते हैं. ऐसे में अगर हवा की गुणवत्ता ठीक नहीं होगी तो फेफड़ों को क्षति होने का जोखिम होता है. घर के अंदर की हवा बाहर की हवा से ज्यादा प्रदूषित हो सकती है. इस लिए जरूरी है कि कमरे में साफ-स्वच्छता को बना रखना चाहिए.
दूषित पानी पीने से भी रहता है खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, दूषित जल, विशेषतौर पर पीने के पानी में आर्सेनिक बढ़े होने के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि पानी में आर्सेनिक का स्तर संयुक्त राज्य अमेरिका में अधिक देखा जाता रहा है. कैंसर के खतरे से निपटने के लिए शुद्ध जल का सेवन सुनिश्चित होना जरूरी है.
Source : News Nation Bureau